नर्मदापुरम इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में प्राप्त हुए 31 हजार 800 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव
एमपीआईडीसी का सर्व-सुविधायुक्त कार्यालय नर्मदापुरम में होगा आरंभमुख्यमंत्री ने 6वें रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में निवेशकों को किया आमंत्रित
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि अगले 5 साल में राज्य सरकार का बजट दोगुना करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ हमारी व्यवस्थाओं के बलबूते पर आईटी, टूरिज्म, खनन, उर्जा सहित सभी सेक्टर में गतिविधियों के विस्तार की हर संभव कोशिश होगी। कृषकों को विद्युत के लिए आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सोलर पंप लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में 52 निजी विश्वविद्यालय संचालित हैं। इस प्रकार सभी क्षेत्रों को समन्वित प्रयास से हमारा लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश देश का श्रेष्ठतम राज्य बने और देश-दुनिया से निवेशक तथा उद्योग समूह हमारे प्रदेश में आकर अपनी गतिविधियों को विस्तार दे। इससे प्रदेश के विकास को और अधिक गति मिलेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नर्मदापुरम में उद्योग व्यापार तथा निवेश गतिविधियों को प्रोत्साहन के लिए नर्मदापुरम में म.प्र. औद्योगिक विकास निगम (एमपीआईडीसी) का सर्व-सुविधायुक्त कार्यालय का आरंभ किया जाएगा। रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव प्रदेश में कार्य संस्कृती बदलने का प्रयास है। यह कॉन्क्लेव प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए राज्य शासन की प्रतिबद्धता की अभिव्यक्ति है। हम प्रदेश के संतुलित और सामान्य विकास के लक्ष्य को लेकर चल रहे है़। इसी उद्देश्य से प्रदेश में संभाग स्तर पर इंडस्ट्रीयल कॉन्क्लेव का क्रम आरंभ किया गया। औद्योगिक विकास के इन क्षेत्रीय समागमों में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव सहित राज्य शासन के प्रमुख अधिकारियों की सहभागिता हमारी प्रतिबद्धता, पारदर्शिता और जो कहा उसे तय समय-सीमा में कर दिखाने की भावना का परिचायक है। क्षेत्रीय कॉन्क्लेव के माध्यम से औद्योगिक विकास की प्रक्रिया में प्रदेश के जन-जन को शामिल किया जा रहा है। उद्योग समूह और निवेशक भारत तथा मध्यप्रदेश की विकास यात्रा में सहभागी होनें के लिए आमंत्रित हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव "नए क्षितिज-नई संभावनाएं "थीम पर आयोजित नर्मदापुरम में 6वें रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कॉन्क्लेव का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।
प्रदेश की 82 औद्योगिक ईकाइयों का किया गया भूमि-पूजन और लोकार्पण
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि नर्मदापुरम की इंडस्ट्रीयल कॉन्क्लेव में सभी सेक्टर मिला कर 31 हजार 800 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने एमएसएमई प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 1200 से अधिक इकाइयों को प्रोत्साहन स्वरूप 367 करोड़ रूपए की वित्तीय सहायता राशि सिंगल क्लिक से अंतरित की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम स्थल से प्रदेश की 82 इकाइयों का वर्चुअली भूमि-पूजन एवं लोकार्पण किया। कुल 2585 करोड़ रुपए निवेश की इन इकाइयों से लगभग 5800 व्याक्तियों को रोजगार प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में 98 इकाइयों को 163 एकड भूमि के लिए आशय पत्र/आवंटन आदेश जारी किये। कुल 911 करोड़ के निवेश से लगने वाली इन इकाइयों से 4 हजार रोजगार के अवसर सृजित होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आद्योगिक क्षेत्र माना (बुधनी) में अधोसंरचनात्मक विकास कार्यों का वर्चुअल लोकार्पण भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की उपस्थिती में देश की असीम पर्यटन संभावनाओं को देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग और फिक्की के बीच समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान हुआ।
क्षेत्रीय कॉन्क्लेव से प्रदेश के युवाओं, किसानों और महिलाओं के जीवन स्तर में आएगा बदलाव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के युवाओं, किसानों, महिलाओं के जीवन स्तर में बदलाव की दिशा में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव महत्वपूर्ण कदम है। आज हुए कॉन्क्लेव में कई औद्योगिक इकाइयों के भूमि-पूजन और लोकार्पण संपन्न हुए। नर्मदापुरम में हुए इस आयोजन से संपूर्ण प्रदेश जुड़ा, एमएसएमई के लिए उद्यमियों के खातों में सहायता राशि जारी की गई, इसी प्रकार उद्योग समूहों को भी प्रोत्साहन प्रदान किये गये। यह इस बात का परिचायक है कि राज्य सरकार औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए कृत-संकल्पित हैं।
प्रधानमंत्री श्री मोदी को केन-बेतवा परियोजना के भूमि-पूजन के लिए किया आमंत्रित
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में वर्ष-2014 के बाद देश का परिदृष्य सकारात्मक रूप से बदला है। संपूर्ण विश्व में देश की विकासोन्मुखी आदर्श छवि निर्मित हुई है। भारत, इंगलेंड को पीछे छोड़ आज विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत विश्व का सबसे युवा देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र है, प्रधानमंत्री श्री मोदी के प्रभाव के परिणामस्वरूप विश्व के सभी देशों को भारत की व्यवस्थाओं पर भरोसा है। मध्यप्रदेश भी प्रगति-पथ पर निरंतर अग्रसर है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गत 20 वर्ष में नर्मदा मैया की कृपा से प्रदेश की कृषि विकास दर लगभग 25 प्रतिशत हुई है, जो बड़ी उपलब्धि है। इस वर्ष पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) योजना पर राजस्थान के साथ समन्वित योजना पर सहमति हुई है। इसमें 70 हजार करोड़ रुपए की परियोजना पर स्वीकृति प्राप्त की है। इससे दोनों राज्य समन्वित रूप से जल का उपयोग कर सकते है। इससे चंबल और मालवा के कई जिलों में सिंचाई सुविधा, पेयजल आपूर्ति आदि के प्रबंध हो सकेंगे। इसी प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल विहारी बाजपेयी के नदी जोडो अभियान के स्वप्न को साकार करते हुए केन-बेतवा परियोजना कार्य शीघ्र आरंभ किया रहा है। परियोजना के भूमि-पूजन के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी को आमंत्रित किया गया है। यह बुदेलखंड वासियों का जीवन बदलने की परियोजना सिद्ध होगी। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के साथ एक लाख करोड़ की यह परियोजना क्रियान्वित की जाएगी। इससे बुदेलखंड क्षेत्र के लगभग 30 जिलों को लाभ होगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की विकास के लिये आरआईसी की पहल : लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह
लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने कहा कि यह 6वीं रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव है। उन्होंने कहा कि रीजनल कॉन्क्लेव के माध्यम के निवेशकों के लिए सकारात्मक माहौल बना है, इनके माध्यम से निवेशकों को सरकार की ओर से आश्वासन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पहले जब उद्योगों की बात होती थी, तब बड़े शहरों की कल्पना की जाती थी और छोटे शहर कहीं गुम हो जाते थे। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह सोच बदली और कॉन्क्लेव के आयोजन के लिए नर्मदापुरम जैसे क्षेत्रीय स्थलों का चयन किया। इसके द्वारा यह तय हुआ है कि उद्योगों की स्थापना के लिए स्थान की चमक नहीं बल्कि वहां की संभावनाएं और अवसर जरूरी है। कॉन्क्लेव में हजारों करोड़ रुपये के भूमि-पूजन और शिलान्यास इन आयोजनों को सफल बना रहे हैं। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि इन कॉन्क्लेव में विस्तृत प्रेजेंटेशन से निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की जाती हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत की कल्पना की है। हम विकसित मध्यप्रदेश की कल्पना करना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में निवेशकों को अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिये सरकार प्रतिबद्ध
एमएसएमई मंत्री श्री चैतन्य काश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पदभार ग्रहण करने के बाद आरआईसी की उज्जैन से शुरूआत की थी, जो विभिन्न संभागों से होते हुए नर्मदापुरम पहुँच गई है। मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इस कॉन्क्लेव में 3000 से अधिक एमएसएमई प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिससे इसकी सफलता सुनिश्चित हुई। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को 30 दिन में सब्सिडी और अन्य लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। इस वर्ष 850 से अधिक एमएसएमई यूनिट्स को स्वीकृति दी जा चुकी है, और 1200 नई यूनिट्स को स्वीकृति देने की प्रक्रिया चल रही है। मंत्री श्री काश्यप ने बताया कि नर्मदापुरम् आरआईसी में 48 जिलों में 367 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया है।
क्षेत्रीय उद्यमियों को प्रोत्साहित करना मुख्यमंत्री डॉ. यादव की प्राथमिकता : मुख्य सचिव श्री जैन
मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंवेस्टमेंट समिट की संपूर्ण अवधारणा को परिवर्तित करते हुए इसे एमएसएमई के योगदान पर केन्द्रित किया है। उनका विचार है कि प्रदेश के उद्यमियों को प्रोत्साहित करनें को प्राथमिकता दी जाए इससे क्षेत्रीय युवाओं की उद्यमिता की क्षमता को दिशा मिलेगी और स्थानीय निवासियों के लिए सभी जिलों में रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के इस विचार के परिणामस्वरूप ही प्रदेश में क्षेत्रीय स्तर पर औद्यगिक कॉन्क्लेव का क्रम आरंभ हुआ। उन्होनें कहा कि मध्यप्रदेश निवेश के लिए देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य है। यहाँ की भौगोलिक स्थिती, जल, विद्युत तथा भूमि की उपलब्धता, सुशासन आधारित प्रशासकीय व्यवस्थाएं और शांति प्रिय वातावरण औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार को अनुकूल आधार प्रदान करते हैं। प्रदेश में कौशल विकास, समन्वित नगर नियोजन को प्राथमिकता देते हुए मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाने की दिशा में भी पहल की जा रही है।
निवेशक मध्यप्रदेश में बनें रौशनी का हिस्सा : एसीएस श्री श्रीवास्तव
अपर मुख्य सचिव, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री मनु श्रीवास्तव ने निवेशकों और उद्योगपतियों से मध्यप्रदेश में रौशनी का हिस्सा बनने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के संकल्प को पूरा करने में अन्य राज्यों के साथ मध्यप्रदेश भी अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में प्रदेश मे 6 हजार मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादित की जा रही है, जिसे बढ़ाकर 55 हजार मेगावॉट तक करने का लक्ष्य रखा गया है। मध्यप्रदेश के रीवा से उत्पादित सौर ऊर्जा से दिल्ली की मेट्रो भी चल रही है। इसी प्रकार नीमच में उत्पादित की जा रही सौर ऊर्जा से भारतीय रेल भी चल रही है। रेलवे लगभग 7 राज्यों में मध्यप्रदेश से सौर ऊर्जा ले रहा है। ओंकारेश्वर में मौजूद सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश को नया गौरव प्रदान करता है। प्रदेश, उत्तर प्रदेश के साथ 6-6 महीने की अवधि के लिये किसानों को बिजली उपलब्ध कराने के लिये सोलर प्रोजेक्ट लगा रहा है। यह अपने आप में अनोखा प्रोजेक्ट है। इसमें दोनों प्रदेशों के किसानों को अल्टरनेट 6-6 महीने बिजली उपलब्ध कराई जायेगी।
एसीएस श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में निवेशकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही निवेशकों के जोखिम को कम करने के भी समुचित प्रयास किये जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि शुक्रवार को सौर परियोजना नीमच के लिये हुई बिड में देश में अब तक के सबसे न्यूनतम दाम 2 रूपये 15 पैसे प्रति यूनिट प्राप्त हुए है। इससे हम जनता को कम दरों पर बिजली उपलब्ध करा सकेंगे।
एसीएस श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मध्यप्रदेश में छोटे निवेशकों के लिये बेहतर अवसर मौजूद हैं। कुसुम(A) योजना में 2 मेगावॉट के सोलर प्लांट के लिये मात्र 2 एकड़ भूमि की आवश्यकता है और 7 से 8 करोड़ रूपये का निवेश कर अपना प्रोजेक्ट लगाया जा सकता है। इसी प्रकार कुसुम(C) योजना में 5 मेगावॉट के सोलर प्लांट के लिये 10 एकड़ भूमि पर 17 से 18 करोड़ रूपये खर्च कर प्रोजेक्ट लगाया जा सकता है। इन प्रोजेक्ट में छोटे-छोटे निवेशक निवेश के लिये आमंत्रित हैं।
आईटी और तकनीकी क्षेत्र में उभरता हुआ केन्द्र है मध्यप्रदेश – एसीएस श्री दुबे
अपर मुख्य सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी श्री संजय दुबे ने रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव, नर्मदापुरम में विभाग की नीतियों एवं आईटी क्षेत्र में निवेश के बढते अवसरों के संबंध में कहा कि आने वाले समय में किसी क्षेत्र की प्रगति मेट्रो शहरों से नहीं बल्कि छोटे 2 टियर एवं 3 टियर शहरों से तय होगी। मध्यप्रदेश में ऐसे कई शहर है जहां आईटी/आईटीईएस एवं ईएसडीएम सेक्टर में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। मध्यप्रदेश की आईटी नीति निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। राज्य में उन्नत तकनीकी तंत्र, उद्यमशीलता की संस्कृति है। राज्य सरकार औद्योगिक ईकाईयो को न्यूनतम हस्तक्षेप करते हुए सहायता प्रदान करती है। प्रदेश में अधोसंरचना और कनेक्टिविटी बेहतर है, यहां बडी संख्या में तकनीकी रूप से कुशल श्रमिक उपलब्ध है। प्रदेश में व्यवसाय स्थापित करने पर जोखिम कम है एवं ईज ऑफ लिविंग और वर्क लाईफ बैंलेस बेहतर है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 2 हजार से अधिक आईटी/आईटीईएस एवं ईएसडीएम इकाइयां कार्यरत हैं, जिनमें एमपीएसईडीसी में पंजीकृत 650 इकाइयां हैं, जिन्हें राज्य की नीतियों का लाभ मिला है। इन इकाइयों का टर्न ओवर 10 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष से अधिक है। देश की 50 से अधिक बड़ी आईटी एवं आईटीईएस इकाइयां मध्यप्रदेश में स्थापित हैं। प्रदेश से हर वर्ष 500 मिलियन डॉ.लर का निर्यात आईटी से जुड़ी कंपनियों के माध्यम से होता है। राज्य में 5 आईटी स्पेशल इकोनॉमिक जोन हैं। राज्य सरकार द्वारा 15 आईटी पार्क बनाए गए हैं, जिनसे डेढ़ लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
प्रदेश में पर्यटन की असीम संभावनाएं : प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति श्री शुक्ला
प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति श्री शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि राज्य में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि यहां पर 14 वर्ल्ड हेरीटेज साइट है, धार्मिक पर्यटन के दो प्रमुख केन्द्र महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग है। साथ ही कई मंदिर स्थापित है जो हर साल लाखों-करोडों श्रृद्धालुओं को आकर्षित करते है। राज्य में कई नेशनल पार्क और वाइल्ड लाइफ सैंक्च्युअरी तथा टाइगर रिजर्व हैं।
प्रमुख सचिव श्री शुक्ला ने कहा कि विगत 4 वर्षो में मध्यप्रदेश आने वाले पर्यटकों की संख्या 2.14 करोड़ से बढकर 11 करोड़ से अधिक हो गई है, वर्ष 2024 में यह आंकड़ा और बढने का अनुमान है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में एक समर्पित पर्यटन निवेश नीति लागू की, जो राज्य में निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूमि आवंटन के लिए न्यूनतम दरें तय की गई हैं। इसके अलावा, पूंजी अनुदान, और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जैसी सुविधाएँ दी जा रही हैं। प्रमुख सचिव श्री शुक्ला ने कहा कि राज्य में निवेश और पर्यटन के बेहतर समन्वय का परिणाम है कि 2016 से अब तक ₹3850 करोड़ का निवेश आकर्षित हुआ है।
देश का एकमात्र प्रदेश जहाँ खनिज बहुतायत में उपलब्ध : प्रमुख सचिव खनिज साधन श्री उमाकांत उमराव
प्रमुख सचिव खनिज साधन श्री उमाकांत उमराव ने प्रदेश में खनिज की प्रचुर उपलब्धता एवं निवेश की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्यप्रदेश देश का एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहाँ विविध प्रकार के खनिज बहुतायत में उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश, खनिज संसाधनों की प्रचुरता और निवेश-अनुकूल नीतियों के कारण, देश में खनन क्षेत्र के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। प्रदेश खनिज उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी है। मध्यप्रदेश हीरा, कॉपर अयस्क और मैंगनीज के उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है। इसके अलावा, चूना पत्थर और रॉक फॉस्फेट जैसे खनिजों में यह दूसरे स्थान पर है। प्रदेश में कोयला, चूना पत्थर, बॉक्साइट, और ग्रेफाइट जैसे खनिजों के समृद्ध भंडार हैं, जो उद्योगों के लिए प्रमुख अवसर प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, मध्यप्रदेश में 30,916 मिलियन टन कोयले का भंडार और 1,692.4 मिलियन टन चूना पत्थर का भंडार है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में खनिजों की उपलब्धता ने इसे निवेशकों के लिए और भी आकर्षक बना दिया है। सतना, रीवा, और सिंगरौली जैसे क्षेत्रों में चूना पत्थर और कोयला प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। बालाघाट में कॉपर और मैंगनीज का भंडार है, जबकि छतरपुर और पन्ना हीरे और रॉक फॉस्फेट के लिए प्रसिद्ध हैं। मध्यप्रदेश की खनिज संपदा, उद्योगों के लिए उत्कृष्ट बुनियादी ढाँचे और निवेश-अनुकूल नीतियों के कारण यह क्षेत्र घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए एक आकर्षक स्थल बन गया है।
मध्यप्रदेश में निवेश की असीम संभावनाएँ : प्रमुख सचिव श्री राघवेन्द्र सिंह
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन तथा एमएसएमई प्रमुख सचिव श्री राघवेन्द्र कुमार सिंह ने प्रदेश में निवेश की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्यप्रदेश देश के औद्योगिक मानचित्र पर तेजी से उभर रहा है। वोल्वो-आयशर जैसी कंपनियों का अहम योगदान है। यह कंपनी, जिसने 1990 में 100 करोड़ रुपये से शुरुआत की थी, आज 7,500 करोड़ रुपये के निवेश तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा, राज्य में एमएसएमई क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्तमान में 14 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां राज्य में कार्यरत हैं, जो लगभग 73 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कर रही हैं। स्टार्ट-अप्स के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश ने अपनी अलग पहचान बनाई है। राज्य में 4,600 से अधिक डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से 2,200 महिलाओं द्वारा संचालित हैं। प्रदेश में 31 इन्क्यूबेटर्स हैं। प्रदेश में 14 लाख एमएसएमई हैं, जिनमें 73 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। प्रदेश देश का 7वां सबसे बड़ा एमएसएमई राज्य है। नर्मदापुरम संभाग भी इस क्षेत्र में अग्रसर है। जहां 62 स्टार्ट-अप्स कार्यरत हैं। इनमें नर्मदापुरम जिले के 27 स्टार्ट-अप्स प्रमुख हैं। प्रमुख सचिव उद्योग ने कहा कि नर्मदापुरम संभाग में औद्योगिक विकास के लिए कई क्षेत्र संभावनाओं से भरे हुए हैं। यहां कृषि उपकरण निर्माण, बायो-सीएनजी और एथेनॉल उत्पादन, और वन उत्पाद आधारित उद्योगों के लिए अनुकूल परिस्थितियां मौजूद हैं। नर्मदापुरम् के मोहासा-बाबई का मेगा सौर ऊर्जा पार्क राज्य के हरित औद्योगिकीकरण के प्रयासों का प्रतीक है। नर्मदापुरम संभाग में औद्योगिक क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दी गई है। यहां आठ औद्योगिक क्षेत्रों का विकास पहले ही हो चुका है, और 156 हेक्टेयर भूमि नए उद्योगों के लिए तैयार है। हरदा, बैतूल और नर्मदापुरम जिलों में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव जमीन से जुड़े हुए सरल व्यक्ति : सीईओ नेटलिंक
नेटलिंक सॉफ्टवेयर कम्पनी के सीईओ एवं फाउण्डर, उद्योगपति श्री अनुराग श्रीवास्तव ने मध्यप्रदेश में अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश अपने समृद्ध प्राकृतिक सौंदर्य, उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे और निवेश के अनुकूल नीतियों के कारण देश एवं विदेश में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के सरल और जमीन से जुड़े व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके आग्रह को सहर्ष स्वीकार करते हुए उनके कंपनी परिसर में आकर उनके उत्पादों को देखा। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. यादव की नेतृत्व क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी दृष्टि केवल मैक्रो लेवल पर ही नहीं, बल्कि माइक्रो लेवल तक जाती है, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव इसी लक्ष्य की पूर्ति करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश की विश्व में एक बेहतरीन छवि बन चुकी है। यहाँ की सड़कें, पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करते हुए प्रतीत होते हैं। मैंने 20 देशों का भ्रमण किया है, लेकिन जो गुणवत्ता और सौंदर्य मध्यप्रदेश में देखने को मिला, दुर्लभ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में राज्य ने निवेशकों के विश्वास और विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश बना एक आकर्षक केन्द्र : सीएमडी वर्धमान ग्रुप
वर्धमान ग्रुप के सीएमडी श्री एस.पी. ओसवाल ने कहा कि आज एक बहुत बड़ा अवसर है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से सभी क्षेत्रों को एकीकृत कर औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि में क्षेत्र में राज्य ने अभूतपूर्व प्रगति की है। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में निवेश के लिए अपार संभावनाएं हैं। श्री ओसवाल ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व को औद्योगिक विकास का एक मजबूत आधार बताते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शी नीतियों ने मध्यप्रदेश को निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक संस्कृति का निर्माण समानता और सामंजस्य लाकर ही किया जा सकता है, और मध्यप्रदेश ने इस दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की है। श्री ओसवाल ने मध्यप्रदेश में अपनी औद्योगिक यात्रा के बारे में बताया कि उन्होने वर्ष 1990 में मंडीदीप से यात्रा की शुरूआत की थी। वर्तमान में मध्यप्रदेश में ग्रुप की 3 बड़ी और कई छोटी यूनिट्स स्थापित हैं। वर्ष 2005 में बुधनी में स्थापित यूनिट आज देश की सबसे बड़ी फैब्रिक यूनिट बन चुकी है। यह यूनिट सौ मिलियन मीटर फेब्रिक बना रही है।
आरआईसी ने उद्योगपतियों को दी नई ऊर्जा : चेयरमैन ट्राइडेंट ग्रुप
ट्राइडेंट ग्रुप के चेयरमैन श्री रजिन्दर गुप्ता ने मध्यप्रदेश ने इकाई स्थापित करने का मौका देने के लिए राज्य सरकार का बहुत आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि हमारी इकाई नर्मदापुरम में स्थापित है। राज्य में कंपनी का लगभग 5000 करोड़ का निवेश है, जिससे लगभग 12000 से अधिक लोग कार्य कर रहे है। कंपनी 122 से अधिक देशों में निर्यात कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. यादव की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव ने उद्योगपतियों को नई ऊर्जा दी है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए राजनैतिक स्थिरता, सामाजिक समरसता, प्रशासनिक सहयोग और तालमेल सब मिलता है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव को प्रभारी मंत्री श्री सिंह ने नर्मदापुरम के रेशम से बनी जैकेट भेंट की
उद्घाटन सत्र में प्रदेश में उपलब्ध सशक्त अधोसंरचना, रोड नेटवर्क, ऊर्जा तथा जल उपलब्धता और नीतियों पर केंद्रित लघु फिल्म "एडवांटेज मध्यप्रदेश" का प्रस्तुतीकरण किया गया। कॉन्क्लेव में औद्योगिक विकास का एक वर्ष पर निर्मित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। नर्मदापुरम के पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों तथा निवेश संभावना पर केन्द्रित फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को नर्मदापुरम के प्रभारी तथा लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने नर्मदापुरम के रेशम से निर्मित जैकेट और अंग वस्त्रम भेंट की।
प्रदर्शनी में लगाए गए 60 से अधिक स्टॉल
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश के संतुलित और समान विकास के लिए आरंभ हुए रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के क्रम में नर्मदापुरम में आयोजित 6वीं इंडस्ट्री कॉन्क्लेव, प्रमुख रूप से कृषि, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा, वस्त्र और परिधान क्षेत्र पर केंद्रित है। कॉन्क्लेव में कनाडा, वियतनाम, नीदरलैंड, मेक्सिको और मलेशिया के प्रतिनिधियों सहित 75 प्रमुख निवेशक और 3000 से अधिक एमएसएमई प्रतिभागियों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नवकरणीय ऊर्जा पर राउंड टेबल सत्र लिया तथा 10 प्रमुख उद्योग निवेशकों के साथ वन-टू-वन बैठक की। कॉन्क्लेव में बांस और सागौन की लकड़ी के व्यवसाय में अवसर ,पर्यटन क्षेत्र में निवेश संभावनाएं और एमएसएमई गतिविधियों के आधार पर निर्यात आरंभ करने के लिए मार्गदर्शन पर सेक्टोरल सत्र हुए। इस अवसर पर स्थानीय उद्यमियों और व्यवसायों को अपने उत्पादों तथा सेवाओं को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से लगाई गई प्रदर्शनी में 60 से अधिक स्टॉल लगाए गए। उद्यमियों, व्यापारी संघों और शासकीय एजेंसियों के बीच परस्पर संवाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक जिला -एक उत्पाद, व्यापार संघों, वित्तीय संस्थानों तथा शासकीय विभागों द्वारा भी स्टाल लगाए गए।