Type Here to Get Search Results !

ऋषि पंचमी आज, जानें शुभ तिथि, योग से लेकर व्रत के पारण तक सबकुछ

 

ऋषि पंचमी का व्रत हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए बेहद खास माना गया है. इस दिन व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और साथ ही यह व्रत जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति दिलाता है.


हिन्दू धर्म में ऋषि पंचमी का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है. सुहागिन महिलाएं हर साल सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से पूजा करती है. ऐसी मान्यता है कि ऋषि पंचमी का व्रत को करने से विवाहित महिलाओं को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. इसके अलावा वैवाहिक जीवन खुशहाली से भर जाता है. ऋषि पंचमी का पर्व हर साल भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. यह पर्व विनायक चतुर्थी के अगले दिन आता है. इस पर्व के दिन सप्त ऋषियों के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त किया जाता है. यह व्रत जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति दिलाता है. इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. यह व्रत पुरुष भी अपनी पत्नी के लिए रख सकते हैं.ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋषियों कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ, गौतम, जमदग्नि, और विश्वामित्र की पूजा की जाती है. ये सात ऋषि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश माने जाते हैं. ये ही वेदों और धर्मशास्त्रों के रचयिता हैं. माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है.

पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 7 सितंबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 8 सितंबर को शाम 07 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए उदयातिथि के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत 8 सितंबर को ही रखा जाएगा.

ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त | Rishi Panchami Puja Muhurat

ऋषि पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 8 सितंबर को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. ऐसी मान्यता है कि ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषियों की पूजा शुभ मुहूर्त में करना शुभ फलदायी माना जाता है. इसलिए शुभ मुहूर्त में ही सप्तऋषियों की पूजा करें.

ऋषि पंचमी शुभ योग | Rishi Panchami Shubh Yog

पंचांग के अनुसार, ऋषि पंचमी का दिन बेहद शुभ दिन माना जा रहा है. यह गणेश चतुर्थी पूजन का दूसरा दिन है और इस दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. सबसे पहले इंद्र योग बन रहा है, जो सुबह से लेकर देर रात 12 बजकर 05 मिनट तक है. वहीं रवि योग दोपहर में 3 बजकर 31 मिनट से अगले दिन 9 सितंबर को सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. रवि योग में सभी दोषों को दूर करने की क्षमता है क्योंकि इसमें सूर्य का प्रभाव अधिक माना जाता है. ऋषि पंचमी पर स्वाति और विशाखा नक्षत्र हैं. स्वाति नक्षत्र सुबह से लेकर दोपहर 3 बजकर 31 मिनट तक है.

ऋषि पंचमी पूजा विधि | Rishi Panchami Puja Vidhi

  • ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं.
  • घर व मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करें और पूजा स्थान पर एक चौकी रखें.
  • सभी पूजा सामग्री जैसे धूप, दीप, फल, फूल, घी, पंचामृत आदि एकत्रित कर लें.
  • चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाने के बाद सप्तऋषि की तस्वीर स्थापित करें और कलश में गंगाजल भरकर रख लें.
  • आप चाहें तो अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं.
  • कलश से जल लेकर सप्तऋषियों को अर्ध्य दें और धूप-दीप दिखाएं.
  • अब उन्हें फल-फूल और नैवेद्य आदि अर्पित करें.
  • पूजा के दौरान सप्तऋषियों को फल और मिठाई अर्पित करें.
  • सप्तऋषियों के मंत्रों का जाप करें और अंत में अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें.
  • सप्तऋषियों के मंत्रों का जाप करें और अंत में सप्तऋषियों से आशीर्वाद लें.
  • पूजा के अंत में सभी लोगों में प्रसाद वितरित कर बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद अवश्य लें.

ऋषि पंचमी व्रत कथा | Rishi Panchami Vrat Katha

प्राचीन समय में विदर्भ देश में उत्तंक नामक एक सर्वगुण संपन्न ब्राह्मण रहता था. ब्राह्मण की पत्नी सुशीला बेहद ही पतिव्रता थी. इस ब्राह्मण दंपति का एक पुत्र और एक पुत्री थी. बेटी का विवाह तो हुआ लेकिन कुछ ही समय में वो विधवा हो गई. इस बात से दुखी ब्राह्मण दंपत्ति अपनी बेटी के साथ गंगा के तट पर चले गए और वहीं वो एक कुटिया बनाकर रहने लगे.

एक दिन की बात है, जब ब्राह्मण की पुत्री सो रही थी तभी उसका शरीर कीड़ों से भर गया. बेटी की ऐसी हालत देखकर ब्राह्मण की पत्नी हैरान-परेशान होकर अपने पति के पास पहुंची और उनसे पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है? अपनी पुत्री की इस समस्या का हल खोजने के लिए जैसे ही उत्तंक समाधि में बैठे उन्हें पता चला कि पूर्व जन्म में भी वह कन्या उनकी ही पुत्री थी और उसने रजस्वला होते ही बर्तन छू लिए थे.

इसके अलावा उसने इस जन्म में भी ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया और इन्ही सब वजहों से सके शरीर में कीड़े पड़ गए हैं. ऐसे में सभी ने यह निर्णय किया कि पुत्री से ऋषि पंचमी का व्रत कराया जाए, जिससे उसे अगले जन्म में अटल सौभाग्यशाली होने का वरदान प्राप्त हो.

ऋषि पंचमी के दिन ये चीजें करें दान | Rishi Panchami Daan

  • वस्त्र: गरीबों को वस्त्र दान करने से विष्णु जी का आशीर्वाद मिलता है.
  • अन्न: अन्न दान करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है.
  • कंबल: आने वाले सर्दी के मौसम के लिए गरीबों को कंबल दान करने से ब्रह्मा जी का आशीर्वाद मिलता है.
  • फल: फल दान करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.
  • गंगाजल: गंगाजल दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
  • किताबें: किताबें दान करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है.
  • पैसे: पैसे दान करने से धन की प्राप्ति होती है.

ऋषि पंचमी व्रत में क्या खाएं | Rishi Panchami Vrat Me Kya Khayen

सभी प्रकार के फल जैसे केला, सेब, अंगूर आदि खा सकते हैं और उबली हुई या भाप में पकाई हुई सब्जियां जैसे कि आलू, गाजर, बीन्स आदि खा सकते हैं. व्रत के समय दूध और दही का सेवन किया जा सकता है और बादाम, काजू, किशमिश आदि सूखा फल खा सकते हैं. कूटू के आटे से बना भोजन जैसे कि पूरी, पराठा आदि खा सकते हैं और सेंवई को दूध या दही के साथ खा सकते हैं. इन चीजों के खाने से व्रत नहीं टूटता है.

ऋषि पंचमी व्रत में क्या न खाएं | Rishi Panchami Vrat Me Kya Khaye

चावल, गेहूं, मक्का आदि अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए. किसी भी प्रकार की दालें नहीं खानी चाहिए. मांस, मछली, अंडे आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए. तली हुई चीजें जैसे कि समोसे, पकौड़े आदि नहीं खानी चाहिए. मिठाई का सेवन सीमित मात्रा में किया जा सकता है. इन चीजों को खाने से लोगों का व्रत टूट जाता है और व्रत खंडित हो जाता है.

ऋषि पंचमी व्रत के दिन क्या करें | Rishi Panchami Vrat Me Kya Karen

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें.
  • सप्त ऋषियों की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और धूप करें.
  • आप पूरे दिन उपवास रहेंगी और सप्त ऋषियों की पूजा करेंगी.
  • “ॐ सप्तऋषये नमः” मंत्र का जाप करें.
  • सप्त ऋषियों की कथा सुनें.
  • गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें.
  • यदि संभव हो तो गंगा स्नान करें.
  • रात को जागरण करें और भजन-कीर्तन करें.

ऋषि पंचमी व्रत के दिन क्या न करें | Rishi Panchami Vrat Me Kya Karen

  • अन्न ग्रहण: पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें.
  • शारीरिक संबंध: शारीरिक संबंध नहीं बनाएं.
  • झूठ बोलना: झूठ नहीं बोलें.
  • क्रोध करना: क्रोध न करें.
  • किसी का अपमान न करें: किसी का अपमान न करें.
  • नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचार न रखें.

ऋषि पंचमी व्रत का पारण | Rishi Panchami Vrat Paran

जो महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत रखती है उन्हें अगले दिन सूर्योदय के बाद ही पारण करके व्रत को समाप्त करना चाहिए. क्योंकि बिना पारण के ऋषि पंचमी का व्रत अधूरा माना जाएगा. इस बात का खास ध्यान रखें कि व्रत रखने वाली महिलाएं पारण से पहले स्नान करें और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं या दान दें. इसके बाद व्रत का पारण करें. इस साल ऋषि पंचमी का व्रत का पारण 9 सितंबर दिन सोमवार को सूर्योदय के बाद किया जाएगा.

 

  1.  

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.