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सावन के चौथे सोमवार पर इस विधि से करें भगवान शिव का रुद्राभिषेक, हर इच्छा होगी पूरी

 आज यानी 12 अगस्त 2024 को सावन का चौथा सोमवार व्रत रखा जा रहा है। ये व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है।


इस दौरान शिव-पार्वती की जोड़ी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आज सावन के चौथे सोमवार के शुभ दिन पर शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में शिव जी का रुद्राभिषेक करने से धन लाभ के योग बनते हैं।


ऐसे में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति हो सकती हैं। इस दौरान कुछ खास उपाय करने से रुके हुए कार्यों को गति मिलती है। साथ ही तरक्की के योग का भी निर्माण होता है। इसी कड़ी में आइए इन उपायों के बारे में जान लेते हैं।

रुद्राभिषेक विधि

सावन के चौथे सोमवार पर रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे पहले शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, शर्करा और गंगाजल से अभिषेक करें। इस दौरान शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इसके बाद आप शिवलिंग पर धतूरा, चावल, फूल, बेलपत्र और भांग चढ़ाएं। फिर कुछ फल अर्पित करते जाएं। अंत में आरती करते हुए शंखनाद करें। ऐसा करना शुभ होता है।



महादेव पूजन विधि

सावन के चौथे सोमवार पर सुबह ही स्नान कर लें। फिर साफ वस्त्रों को धारण करें। इसके बाद पूजा की सभी सामग्रियों को एकत्रित कर लें। अब जहां भी पूजा करनी है, वहां पर अपना स्थान लें। अब सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल और दूध से अभिषेक करें। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और गंगाजल चढ़ाएं। बाद में भगवान शिव को आक का फूल अर्पित करें। अब मिठाई और फल को चढ़ाएं। अंत में शिव जी की आरती करें।

जरूर करें ये खास उपाय
  • सावन के चौथे सोमवार पर गन्ने के रस से महादेव का अभिषेक करें। इससे सफलता के योग का निर्माण होता है।
  • इस दौरान भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें। माना जाता है कि इससे ग्रह दोष से छुटकारा मिलता है।
  • सावन सोमवार के शुभ दिन पर शिवलिंग पर 108 बेलपत्र चढ़ाएं। इस दौरान शिव-पार्वती की पूजा भी करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही समस्याएं दूर होती हैं।
  • इस दिन शिवलिंग के आगे 11 घी के दीपक जलाने से हर इच्छा पूरी होती है।
  • शिव जी की आरती 

    ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
    ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
    वृषवाहन साजे।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
    त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
    त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
    सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
    मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
    पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
    भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
    शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
    नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
    ओम जय शिव ओंकारा।।
    त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
    कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
    ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।
  • रुद्राभिषेक मंत्र
    ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
    मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
    ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
    ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
    तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
    अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥
    वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
    रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
    बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
    सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
    भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
    नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
    भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
    यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
    निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
    त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
    सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
    विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥


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