स्वर्णिम विजय मशाल का स्वागत कर दी श्रद्धांजलि
भारत-पाक के 1971 के युद्ध में भारत की विजय के 50वें वर्ष को हम स्वर्ण-जयंती वर्ष के रूप में मनाकर गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। स्वर्णिम विजय-वर्ष में देश-भर में स्वर्णिम विजय मशाल युवाओं में देशभक्ति का जुनून जवां कर रही है। हमारी सेना के उस अप्रतिम शौर्य को हम सेल्यूट करते हैं, जिसकी बदौलत पाकिस्तान की सेना को 13 दिन में घुटने टेकने और 93 हजार पाक सैनिकों को आत्म-समर्पण के लिये मजबूर कर दिया। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने शौर्य-स्मारक पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में स्वर्ण जयंती मशाल का सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह बात कही।
पाकिस्तान पर वर्ष 1971 में हुई विजय के उपलक्ष्य में आयोजित स्वर्ण-जयंती समारोह में सेना के थ्री ईएमई के जैज, ब्रॉस और 11 महार रेजीमेंट के पाइप बैण्ड की धुनों ने शौर्य स्मारक के सम्पूर्ण परिवेश को देशभक्तिमय कर दिया। बैण्ड की धुन पर मंगल-गान, वंदे मातरम्, जय हो, माँ तुझे सलाम, ऐ मेरे वतन के लोगों, कदम-कदम बढ़ाये जा और युद्ध के समय बजाए जाने वाले बिगुल की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियाँ दीं।
समारोह में 1971 के भारत-पाक युद्ध में सम्मिलित हुए मध्यप्रदेश के 24 बहादुर जवान भी मौजूद थे। उन्हें अपने बीच पाकर सभी उपस्थितजन स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। समारोह का आयोजन हेड क्वार्टर पीएमपी सब एरिया और 21 कॉर्प्स ने किया था। समारोह में मेजर जनरल चीफ ऑफ स्टाफ विशिष्ट सेवा मैडल से सम्मानित श्री धीरज मोहन ने गृह मंत्री डॉ. मिश्रा को स्मृति-चिन्ह भेंट किया।