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ग्वालियर-चंबल अंचल को उद्यानिकी हब के रूप में विकसित किया जायेगा : राज्य मंत्री श्री कुशवाह

 ग्वालियर-चंबल अंचल को उद्यानिकी हब के रूप में विकसित किया जायेगा।-----

 सरकार द्वारा उद्यानिकी फसलों के लिये अनुदान देने के साथ-साथ किसानों को अत्याधुनिक तकनीक व सुविधायें उपलब्ध कराई जायेंगीं। यह बात उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भारत सिंह कुशवाह ने  आज ग्वालियर जिले के ग्राम मिलावली में आयोजित जन समस्या निवारण शिविर सह विकास कार्यों के भूमिपूजन कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता क्षेत्रीय सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने की। 

अतिथि द्वय ने इस अवसर पर लगभग एक करोड़ 4 लाख रूपए लागत के विकास कार्यों का भूमिपूजन किया। इन विकास कार्यों में ग्राम मिलावली में बनने जा रही लगभग 90 लाख रूपए लागत की नल-जल योजना एवं एबी रोड़ मिलावली से जिगसौली की पुलिया तक 7 लाख 64 हजार रूपए लागत की ग्रेवल रोड़ शामिल है। मिलावली में इस अवसर पर आयोजित हुए जन समस्या निवारण शिविर में लगभग दो दर्जन किसानों की समस्याओं का मौके पर ही निराकरण किया गया। साथ ही शिविर में प्राप्त हुए अन्य आवेदनों के निराकरण की रूपरेखा तय की गई। 

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री कुशवाह ने इस अवसर पर किसानों का आहवान किया कि वे उद्यानिकी फसलों को अपनाने के लिये आगे आएँ। उन्होंने कहा केवल रबी और खरीफ की पारंपरिक फसलों से किसानों की आय दोगुनी नहीं हो सकती। इसके लिये उद्यानिकी जैसी नगदी फसलों को अपनाना जरूरी है। श्री कुशवाह ने कहा उद्यानिकी विभाग द्वारा हर विकासखण्ड में उद्यानिकी फसलों के संबंध में विषय विशेषज्ञों के जरिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं। सभी किसान इसमें जरूर सहभागिता करें। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद किसानों से यह भी कहा कि भारत सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानून किसानों के जीवन में सुखद बदलाव लायेंगे। इसलिये किसी के बहकावे में न आएँ। 

सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने कार्यक्रम में मौजूद किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि कानून पूरी तरह  किसान हित में हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए सरकार ने सही मायने में किसानो को आजादी दी है। नए कानूनों के तहत किसान अब अपनी फसल मर्जी से मंडी में या उससे बाहर बेच सकते हैं। कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग का प्रावधान भी पूरी तरह किसान हित में है। फसल का अनुबंध करने एवं उसे तोड़ने का अधिकार पूरी तरह किसानों के पास है।  


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