सरपंच ने कहा बगिया को और भी बेहतर बनाएंगे
जिले के विद्यालयों में मां की बगियां में अवधारणा के अनुरूप हरी सब्जियों आदि की बहार है। बगिया में पत्ता गोभी, बैगन, टमाटर, गोभी, मेथी, धनिया और नींबू से थाली सजने लगी है। सिकंदराबाद माध्यमिक शाला में विगत दिनों लगाई गई मां की बगिया में सब्जियों की बहार बनी हुई है और अभी भी वहां पत्ता गोभी बैगन टमाटर, नींबू धनिया मिर्ची आदि लगी हुई है, स्कूलों में बच्चे तो नहीं आ रहे किंतु सब्जियां आज भी बच्चों का इंतजार कर रही है। माताएं इन सब्जियों को बच्चे के घर पहुँचा रही है। स्कूल के शिक्षक ने बताया कि यह फसल बच्चों को उपयोग के लिए दी जा रही है। विगत 2 दिन पहले इस बगिया से डेढ़ किलो बैगन निकले थे जिन्हें 3 परिवार के बच्चों को दिया गया। एक सप्ताह पहले दो ढाई किलो मेथी भी दूसरे बच्चों को दी गई थी। उसके 3 दिन पहले पांच पत्ता गोभी अलग परिवारों में भेजी गई। इस प्रकार मां की बगिया ने बच्चों के घरों में भी सब्जियों से थाली में इंद्रधनुषी छठा बनने लगी है। बच्चे बताते हैं कि पहले घर में या तो दाल बनती थी या सब्जी किंतु अब दाल और सब्जी दोनों एक साथ भी बन जाती हैं। सरपंच श्रीमती ममता अहिरवार और उनके पति सुदामा ने बताया कि मां की बगिया की प्रेरणा ग्राम पंचायत सिकंदराबाद से ही पूरे प्रदेश में गई है इसको अब बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा। स्कूल परिसर में खाली पड़े 10 हजार स्क्वायर फीट के प्लॉट पर वह अपने खर्च पर मां की बगिया को और बेहतर तरीके से बनाएंगे, खुद मिटटी डलवा कर खेत तैयार करेंगे और जल नल जल योजना का कनेक्शन भी स्कूल में देंगे जिससे अब बच्चों को और बेहतर सब्जियां मिल सकेंगे। उन्होंने बताया कि गर्मी की सब्जी भिंडी ,करेला, लौकी, गिलकी और पालक विशेष रूप से लगाएंगे, इस बगिया में अधिक से अधिक बच्चों को सब्जी उपयोग करने को मिल सकेगी। वर्तमान में विद्यालय में 120 बच्चे हैं उसके अनुसार ही मां की बगिया का स्वरूप बड़ा किया जाएगा और सब्जी लगाने की मात्रा भी बढ़ाई जाएगी। श्रीमती अहिरवार कहती है कि ग्रामीणों के इस तरह के नवाचारों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सुधार की गुंजाइश तो हमेशा बनी रहती है और यदि कुछ सलाह और सुझाव मिले तो ऐसे कार्यों को पूरा समाज अपनाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें विद्यार्थियों और उनके परिवारों द्वारा दिए गए समर्थन से अब मां की बगिया और भी हरी-भरी होगी। |