14वीं आनलाइन विज्ञान मंथन यात्रा का समापन
विज्ञान मंथन यात्रा के जरिये विद्यार्थियों के साइंटिफिक माइंड और वैज्ञानिक सोच का विकास हुआ है। यह यात्रा विद्यार्थिर्यों के मन के कौतूहल के सवालों को खोजने का मंच साबित हुई है। विद्यार्थियों को फिजिकल ट्रिप, के स्थान पर वर्चुअल यात्रा से नया अनुभव प्राप्त हुआ। इससे ज्ञान-विज्ञान को सीखने और समझने का अधिक समय मिला है। यह विचार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री ओम प्रकाश सखलेचा ने ऑनलाइन 14वीं विज्ञान यात्रा के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।
पहली बार विज्ञान मंथन यात्रा का 18 से 27 जनवरी तक आनलाइन आयोजन किया गया था। मंत्री श्री सखलेचा ने कहा कि चुनौतियों को अवसर में बदलकर आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से फैली महामारी दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस चुनौती को अवसर में बदल कर आत्मनिर्भर भारत की बेस लाइन बनाई है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि विज्ञान के बिना जीवन नहीं है। विद्यार्थी जीवन के दौर में विज्ञान के अलग-अलग विषयों में रूचि लेकर अपना अनुभव बढ़ाया जा सकता है और आगे चलकर दुनिया का स्वरूप बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें इस पर विचार करना चाहिये कि आज की परिस्थितियों में हम विज्ञान का किस तरह से उपयोग कर सकते हैं।
इस अवसर पर परिषद् के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि कोविड-19 के कारण विद्यार्थियों ने विज्ञान संस्थानों का प्रत्यक्ष भ्रमण करने के स्थान पर वर्चुअल भ्रमण करने का नया अनुभव प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक पद्धति से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है। मिशन एक्सीलेंस के प्रमुख डॉ.विवेक कटारे ने कहा कि इस बार विज्ञान मंथन यात्रा कई माइनों में अलग थी। बच्चों को फिजिकल टूर का आनंद नहीं मिला। लेकिन कम समय में कई प्रयोगशालाओं का भ्रमण और पहले की तुलना में अधिक वैज्ञानिकों के व्याख्यान सुनने और सवालों को हल करने का अवसर मिला। स्वागत उद्बोधन मंथन यात्रा की समन्वयक नीता श्रीवास्तव ने दिया।
इस अवसर पर मंथन यात्रा में शामिल विद्यार्थी सर्वश्री तनय कलमोडिया (इंदौर), खुशी रघुवंशी (विदिशा), आडी श्रीवास्तव (भोपाल), आयुष वर्मा (नरसिंहपुर) और रितिका राठौर (खरगोन) ने अपने यात्रा अनुभव साझा किये।
विज्ञान मंथन यात्रा के अंतिम दौर में विद्यार्थियों ने मोहाली स्थित नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान की विभिन्न प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया। डॉ. आशीष पाल ने चिकित्सा विज्ञान में नैनो प्रौद्योगिकी की चर्चा करते हुए इस क्षेत्र में अनुसंधान सहित करियर के अवसरों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।