मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अमर शहीद भीमा नायक का बलिदान दिवसमध्यप्रदेश और निवाड़ के लिए गर्व का दिन है। इस दिन भारत माता के चरणों में परतंत्रता की बेड़ियां काटने के लिए अमर शहीद भीमा नायक ने अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। उनका बलिदान हमेशा राष्ट्र के लिए समर्पित हो जाने की प्रेरणा देता रहेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान बड़वानी जिले के भीमा नायक प्रेरणा केन्द्र ग्राम धाबा बावड़ी में अमर शहीद भीमा नायक के बलिदान दिवस पर आयोजित पुण्य तिथि समारोह को अपने वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर विशाल मेले का आयोजन भी किया गया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने संदेश में कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिए अनेकों योद्धाओं और वीरों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी। यह स्वतंत्रता हमको चांदी की तश्तरी में रखकर नहीं मिली। हजारों लोगों ने अपनी जवानी और जिंदगियां भारत माता के लिए न्यौछावर कर दी। ऐसे ही वीर सपूत अमर शहीद भीमा नायक ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ जबरदस्त संघर्ष किया था। भीमा नायक से अंग्रेज कांपते थे। उनका कार्य क्षेत्र बड़वानी से लेकर महाराष्ट्र के खानदेश तक था। उनकी फौज में 10 हजार सेनानी शामिल थे। उन्होंने अंग्रेजी बंदूकों का मुकाबला तीर कमान से किया था। वे अंग्रेजों के खजाने को लूटकर गरीब जनता में बांट देते थे। इसलिए वे निमाड़ के रॉबिन हुड कहे जाते थे। ऐसे वीर योद्धा एक जनजाति समुदाय में जन्में। उनमें गजब का देश प्रेम था। उन्हें अनेक प्रलोभन दिए गए। लेकिन उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता सर्वोपरि है। उन्हें गद्दारों के कारण धोखे से पकड़ा गया। गिरफ्तारी के बाद भीमा नायक को काला पानी की सजा हुई। उन्हें अंडमान निकोबार के पोर्टव्लेअर में रखा गया। यातना दी गई। 29 दिसम्बर 1876 को पोर्ट व्लेअर में वे शहीद हुए। मैं उनके चरणों में नमन करता हूँ। मुझे कहते हुए संतोष है कि उनकी स्मृति में धाबा बावड़ी में स्मारक बनाया गया है। उनकी शहादत दिवस पर मेला लगाने की परंपरा शुरु की गई है। उनके बलिदान का कर्ज देश पर है। उनके प्रति श्रद्धा रखकर, प्रेरणा लेकर देश और समाज के लिए कार्य किया जाए। यही हमारे श्रद्धा सुमन हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पुराने लोग बताते हैं कि शहीद भीमा नायक जी का अंजड़ से करीब 5 किलोमीटर दूर ग्राम पलासिया सजवाह में छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच निवास था। वहां गोल बयड़ी में गुफा बनाकर रहते थे तथा अंग्रेजों से लोहा लेते थे। लोग कहते हैं कि गोल बयड़ी में अंदर एक सुरंग भी है, जो पास के एक खेत की बावड़ी में निकलती है। गोल बयड़ी तक जाने वाले रास्ते को पत्थरों से बन्द कर दिया गया है। पुरातत्व विभाग के माध्यम से प्रयास किया जावेगा कि गोल बयड़ी और धाबा बावड़ी में शहीद भीमा नायक की अनमोल धरोहरों को संरक्षित किया जायेगा और उनसे संबंधित जानकारी जनता के सामने लायी जायेगी। गोल बयड़ी का पुरातत्व विभाग ठीक ढंग से संरक्षण एवं संवर्धन करेगा और एक प्रेरणा स्थल के रूप में अमर शहीद भीमा नायक के स्मारक को और विकसित करने का प्रयास किया जावेगा। धाबा बावड़ी में हर वर्ष शहादत दिवस पर विशाल मेला आयोजित किया जायेगा।
धाबा बावड़ी में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेरसिंह सोलंकी, सांसद श्री गजेन्द्र सिंह पटेल, भाजपा जिलाध्यक्ष श्री ओम सोनी, कलेक्टर श्री शिवराज सिंह वर्मा ने भी उपस्थित लोगों के साथ मुख्यमंत्री के वीडियो संदेश को सुना। इसके पूर्व सभी लोगों ने स्मारक में लगी शहीद भीमा नायक की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके शहादत को नमन भी किया।