मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से आज निवास पर जनजाति सुरक्षा मंच मध्यप्रदेश के प्रतिनिधि मंडल ने भेंट की। प्रतिनिधि मंडल जनजाति सुरक्षा मंच के प्रमुख श्री कालू सिंह, मुजालदा, क्षेत्र जनजाति संपर्क प्रमुख श्री श्यामा जी ताहेड़, श्री योगीराज परते, श्री मनोहर अवास्या, श्री लक्ष्मीनारायण बामने, श्रीमती सुरभि आत्रराम उपस्थित थे। मंच द्वारा मुख्यमंत्री श्री चौहान को दिए गए सुझाव पत्र में कहा गया है कि धर्मान्तरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति सूची से अलग कर उन्हें दिए जाने वाले आरक्षण को समाप्त करना चाहिए।
जनजाति सुरक्षा मंच के सुझाव पत्र में कहा गया है कि वास्तविक जनजातियों के साथ पूरा न्याय करते हुए उन्हें ही निर्धारित सुविधाएं प्रदान की जाएं। वर्ष 2010 में मंच ने इस विषय पर जनमत संग्रह के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया था, जिसमें 27 लाख से अधिक जनजाति वर्ग के लोगों ने हस्ताक्षर किए थे। वर्ष 1970 में तत्कालीन सांसद, जनजाति नेता स्व. कार्तिक उरांव ने 235 लोक सभा सदस्यों के हस्ताक्षर से युक्त आवेदन तत्कालीन प्रधानमंत्री को सौंपा था। इस संबंध में अनुसूचित जाति/जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 1967 की संयुक्त संसदीय समिति की अनुशंसा में भी धर्मांतरण करने वाले जनजाति के व्यक्तियों को आरक्षण के लिए अपात्र माना गया था। वर्ष 1950 में भी इस प्रकार का एक संशोधन किया गया था। आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टि से अच्छी स्थिति में पहुंच चुके धर्मांतरित व्यक्ति सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं। सुझाव पत्र में कहा गया है कि मध्यप्रदेश के जनजाति नेता स्व. श्री दिलीप सिंह भूरिया सहित अनेक जनजाति नेताओं के प्रतिनिधि मंडल ने भी इस संबंध में आवेदन और ज्ञापन समय-समय पर सौंपे हैं। हाल ही में लोकसभा में भी यह विषय चर्चा में आया है। जनजाति सुरक्षा मंच ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को सौंपे सुझाव पत्र को राष्ट्रपति महोदय को अग्रेषित करने का आग्रह किया।