कृषि विज्ञान केन्द्र गोविंदनगर होशंगाबाद के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जिले के किसानो को आगामी 31 अक्टूबर तक के लिए समसामयिक सलाह जारी की गई है। उप संचालक कृषि जितेन्द्र सिंह ने उक्ताशय की जानकारी देते हुए बताया है कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जारी सलाह का किसान भाई लाभ उठाएं।
जारी सलाह में कहा गया है कि किसान भाई धान की कटाई से एक सप्ताह पहले खेते से पानी निकाल दें, जब बालियों में दाने कड़क हो जाए तो कटाई उन्नत हसिएं या कम्बाईनर मशीनों से करें। कटाई में देरी होने पर दाने खेत में ही झड़ जाते है जिसके कारण उत्पादन में कमी आ सकती है अत: किसान भाई फसल की कटाई समय पर करे। कटाई के बाद खलियान पर फसल को सुखाने के बाद गहाई करें, धान के बीज को 12 प्रतिशत नमी तक सुखाकर भंडारण करें।
किसानों से कहा गया है कि रबी की फसल की बुवाई से पूर्व खेतों एवं मेढ़ों को खरपतवार रहित करें एवं खेत की गहरी जुताई करें। बुवाई से पूर्व बीजों को उपचारित कर ही बोएं, बीजोपचार के लिए बीटावैक्स, वावस्टिन 2.5 से 3 ग्राम दवा प्रति किलो बीज के हिसाब से उपयोग करें। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया है कि मटर की खेती सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है। खरीफ फसल की कटाई के पश्चात एक गहरी जुताई कर पाटा चलाकर उसके बाद दो जुताई कल्टीवेटर या रोटावेटर से कर खेत को समतल और भुरभुरा तैयार कर लें। दीमक, तना मक्खी एवं लीफ माइनर की समस्या होने पर अंतिम जुताई के समय फोरेट 10 जी 10 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मिलाकर बुवाई करें। चना एवं मसूर में उकठा रोग के प्रबंधन के लिए उक्ठा रोग रोधी प्रजातियों का प्रयोग एवं जैविक नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित करना चाहिए। असिंचित क्षेत्रों में गेहूं की उन्नत किस्म जैसे एचआई 1531, एचआई 8777 का चयन कर सकते हैं, इसी तरह अर्ध सिंचित क्षेत्रो के लिए जेडब्लू 3288, जेडब्लू 3211, जेडब्लू 17, एचआई 1500, जेडब्लू 3020, एचआई 8627 किस्मों का चयन कर सकते हैं एवं सिंचित क्षेत्रो के लिए जेडब्लू 1201, जीडब्लू 366, एचआई 8759, एचआई 8498, जीडब्लू 322, जीडब्लू 1142 का चयन कर सकते हैं। किसानो से कहा गया है कि शुष्क अवस्था में मसूर को अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक तथा सिंचित अवस्था में नवम्बर के प्रथम सप्ताह से अंतिम सप्ताह तक बुआई करें। मसूर में रासायनिक खरपतवार नियंत्रण हेतु बुवाई के 15 से 25 दिन बाद क्यूजेलोफाप 700 मिली को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। गेहूं की फसल में कंहुआ रोग की रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें। गेहूं की फसल में प्रारंभिक अवस्था में माहू या चेम्पा की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत या थायोमिथाक्जाम 25 प्रतिशत कीटनाशी का उपयोग करें। चने की फसल में इल्ली के नियंत्रण के लिए परभक्षी पक्षियों जैसे कालीमैना, नीलकंठ, बगुला, टिटहरी इत्यादि को आश्रय देने हेतु टी आकार की 3 से 5 फीट उँची खूटिया 8 से 10 मीटर की दूरी पर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 40 से 50 खूटियां लगायें एवं खेत में विभिन्न प्रपंचो जैसे प्रकाश प्रपंच, फेरोमन ट्रेप का प्रयोग करें।
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को जारी की गई समसामयिक सलाह
Monday, October 19, 2020
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