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स्व-सहायता समूह से जुड़कर सुनीता के परिवार का जीवन हुआ आनंद दायक "खुशियों की दास्ताँ"





   स्व-सहायता समूह आज गरीब एवं असहाय महिलाओं के जीवन में रोशनी की किरण बन कर खुशियां बिखेर रहे है। ऐसी ही खुशियों की दास्ताँ बयां कर रही है ग्राम रतुआ रतनपुर तहसील बैरसिया निवासी श्रीमती सुनीता मेहर पत्नि श्री मांगीलाल मेहर। आज उनकी आजीविका आनंद दायक है वे प्रतिमाह 20 हजार तक आय अर्जित कर रही हैं जबकि समूह से जुड़ने के पहले पति काम करते थे और उन्हें महीने के पांच हजार रूपये मिल पाते थे उससे बमुश्किल उनके परिवार का भरण-पोषण हो पाता था। 
   जीवन के इस कठिन दौर में रोशनी की किरण बना गांव का ही स्व-सहायता समूह आजीविका मिशन ब्लॉक टीम एवं सीआरपी टीम ने समूह से जुड़ने के विस्तृत फायदें बतायें। समूह से जुड़ने के बाद शुरूआत में कुछ परेशानियां आई लेकिन धीरे-धीरे हमारी समझ विकसित हुई एवं आगे चल कर हमने स्वयं के लघु व्यवसाय हेतु तीन अलग किश्तों में कुल 67000 रूपए का ऋण प्राप्त किया। उक्त राशि से साबुन बनाने का काम किया एवं दुग्ध डेयरी खोली।

   सुनीता खुशी-खुशी बताती है कि हमारी दूध डेयरी एवं साबुन का व्यवसाय धीरे-धीरे हमारा व्यवसाय चल निकला। शुरू में 5-10 हजार प्रतिमाह आमदनी होती थी। धीरे-धीरे आमदनी में बढ़ौत्तरी होती गई और वर्तमान में 15 से 20 हजार रूपए हम प्रतिमाह कमा लेते हैं।

   वे कहती हैं कि आज हमारा परिवार बहुत खुश है। पति को दूसरों की चाकरी नहीं करनी पड़ती। मैं भी स्वयं के पैरों पर खड़ी होकर गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। गाँव और समाज में हम पति-पत्नि की पहचान बनी है। गांव के सभी लोग मुझें समूह बुक कीपर के नाम से जानते है अब समूह का रिकार्ड एवं संगठन के रिकार्ड कीपिंग का काम देखती हूँ। आज मुझें खुद के उपर गर्व होता है। मुझें समूह से जुड़ने के बाद में नई पहचान मिली, पहले बाजार में क्या चल रहा था इसकी कोई जानकारी नहीं होती थी लेकिन आज मुझें सभी क्षेत्र की जानकारी मिलती रहती है। अब मेरे घर का वातावरण भी खुशहाल है और सबसे बड़ी बात ये हैं कि हमारे बच्चों की अच्छी शिक्षा का सपना साकार होता नजर आ रहा है। हमारा परिवार मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता है।




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