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सोयाबीन के किसानों के लिए समसामायिक सलाह

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान द्वारा सितंबर के प्रथम सप्ताह में सोयाबीन के कृषकों के लिए समसामायिक साप्ताहिक सलाह दी गई है। सोयाबीन कृषकों के लिए साप्ताहिक सलाह-विगत सप्ताह में हुई भारी वर्षा के पश्चात विभिन्न क्षेत्रों के कृषकों द्वारा सोयाबीन की फसल में अचानक से पीली पडने एवं सूखने की सूचना प्राप्त हो रही है। 


सोयाबीन में इस वर्ष तना मक्खी एव गर्डल बीटल का प्रकोप देखा गया है। सेमीलूपर की दूसरी पीढ़ी की इल्लियों का प्रकोप भी अधिक देखने में आ रहा है जो पत्तियों के साथ-साथ फलियों को भी क्षति पहुंचा रही हैं। वर्षा के पश्चात अनुकूल मौसम के कारण सोयाबीन में एन्थ्रेकनोज एवं राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट नामक रोगों का संक्रमण बहुत तेजी से फैला है जिसके कारण सोयाबीन के पौधे सूखने लग रहे है।

यह समस्या जल्दी पकने वाली प्रजातियों में ज्यादा देखी जा रही है जो कि परिपक्वता की स्थिति में है। इसके अतिरिक्त जहां भी तना मक्खी की इल्ली ने तने में 25 प्रतिशत से अधिक सुरंग बना ली है और जहां गर्डल बीटल की इल्ली पूर्ण विकसित (लगभग पौन इंच) हो गई है, वहां रसायनों के छिड़काव के पश्चात भी आर्थिक लाभ होने की संभावना कम है। मध्यम एवं देरी से पकने वाली सोयाबीन प्रजातियों में या जहां कीट व रोग प्रारंभिक अवस्था में हैं, इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने जो उपाय सुझाए हैं उनमें तना मक्खी एवं गर्डल बीटल के नियन्त्रण हेतु कृषकों को सलाह है कि नियंत्रण हेतु बीटासायफ्लुथ्रिन इमिडाक्लोप्रिड 360 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या थायमिथ्रोक्सम़लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 मि.ली. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। जहां केबल सेमीलूपर इल्लियों का प्रकोप हो रहा है, वहां लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 एससी. (300 मि.ली.,हेक्टे.) या इन्डोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मिली/हे.) या पलूबेन्डियामाईड 39.36 एससी (150 मिली.हेक्टे) या फ्लूबेन्डियामाईड 20 डब्ल्यू.जी. (275 मि.ली./हेक्टे) का छिड़काव करें।

एन्थ्रेकनोज एवं राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट नामक रोगों के नियन्त्रण हेतु टेबूकोनाझोल (625 मिली/हे.) अथवा टेबूकोनाझोल़सल्फर (1 कि.ग्रा./हे.) अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यू.जी. (500 ग्रा.हे) अथवा हेक्जाकोनाझोल 5 ई.सी. (800 मि.ली.हे.) से छिडकाव करें। सोयाबीन की फसल अब लगभग 70 दिन की और घनी हो चुकी है। अत: रसायनों का अपेक्षित प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए 500 ली. पानी प्रति हेक्टे. का प्रयोग अवश्य करें। 

कीटनाशकों का छिड़काव कर कीट नियंत्रण करें। सोयाबीन की फसल में विभिन्न कीटों के नियंत्रण हेतु अनुशंसित कीटनाशकों में नीला भृंग कीट के लिए क्विनालफॉस 25 ईसी 1500 मिली हेक्टे., तना मक्खी के लिए थायमिथोक्सम 30 एफएस से बीजोपचार 10 मिली कि.ग्रा. बीज, लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 सीएस 300 मिली.हेक्टे. और पूर्व मिश्रित लेम्बडा सायहेलोथ्रिऩ थायमिथोक्सम 125 मिली.हेक्टे.का छिड़काव करें। 

इसके अलावा गर्डल बीटल के लिए  थायक्लोप्रिड 21.7 एससी 750 ली./हेक्टे., प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1250 मिली/हेक्टे., ट्रायझोफॉस 40 ईसी 800 मिली/हेक्टे., बीटासायफ्लुथ्रिन 8.49 इमिडाक्लोप्रिड 19.81 ओडी 350 मिली/हेक्टे. तथा पूर्व मिश्रित लैम्बडा सायहेलोथ्रिऩथायमिथोक्सम 125 मिली.हेक्टे. और चने की इल्ली से बचाव हेतु प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1250 मिली/हेक्टे., क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी 100 मिली/हेक्टे. तथा इंडोक्साकार्ब 15.8 एससी 333 मिली.हेक्टे. का छिड़काव करें।

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