भारतीय परंपरा मे विकसित लोकविद्या को मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल करें
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने वेबिनार को किया संबोधित
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। इसमें बिना दबाव, अभाव और प्रभाव के सीखने और समाज के प्रत्येक वर्ग, क्षेत्र तक ज्ञान पहुँचाने का लकीर से हटकर अपने स्वरूप में राष्ट्र केन्द्रित, एकात्म भाव से युक्त उपाय है। राज्यपाल श्रीमती पटेल आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति चुनौतियाँ एवं क्रियान्वयन विषय पर आयोजित वेबिनार को राजभवन लखनऊ से सम्बोधित कर रही थी। वेबिनार का आयोजन मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा किया गया।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि भारतीय परंपरा में विकसित ‘लोक-विद्या’ को मुख्यधारा की शिक्षा का ही अंग बनाया जाए। विद्यार्थियों में अन्वेषण, समाधान, तार्किकता व रचनात्मकता विकसित करें और नई जानकारी को आवश्यकतानुसार उपयोग में लाने की दक्षता और नई सोच पैदा करें। वैश्विक स्तर पर शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, परीक्षण, अनुसंधान विमर्श और विश्लेषण आधारित सीखने के तरीकों को अपनाएँ ताकि प्रत्येक विद्यार्थी को अपने जुनून को पूरा करने के अवसर मिले। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थी की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुसार गढ़ने की सुविधा शिक्षको को मिली है। शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए खुली विचार धारा के साथ विद्यार्थियों का सहयोग कर एक नई कार्य संस्कृति का निर्माण करें। हम नवाचार और अनुकूलन की जो मान्यताएं समाज में निर्मित करना चाहते हैं, उन्हें खुद, संस्थानों में स्थापित करें।
श्रीमती पटेल ने शिक्षाविद और शिक्षा जगत का आव्हान करते हुए कहा कि नीति के जो लक्ष्य और प्रस्ताव हैं उन्हें हासिल करने के लिए शैक्षणिक उपलब्धियों के नये मानदंड स्थापित करने का स्वर्णिम अवसर मान कर, सभी आयामों पर समग्रता और गम्भीरता से विचार करें। मूलभूत परिवर्तनों को कैसे उपयोगी बनाया जाए, इस पर चिंतन करें। इतिहास से सबक ले और चिन्तन-चर्चा कर भविष्य का पथ प्रशस्त करें। अच्छी नीयत और खुले मस्तिष्क के साथ अपने-अपने स्तर पर अमल की कार्य योजना बना, रोड मैप तैयार करें। उन्होंने कहा कि आधुनिक टेक्नोलॉजी ने हमें बहुत तेजी से, बहुत अच्छी तरह से, बहुत कम खर्च में, समाज के आखिरी छोर पर खड़े विद्यार्थियों तक ज्ञान पहुंचने में सक्षम किया है। निजी विश्वविद्यालयों को शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के सफल उपयोग की पहल करनी चाहिए। शिक्षकों की मदद करने और ई-लर्निंग को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा की पहुंच, इक्विटी और गुणवत्ता में सुधार के कार्य करें।
राज्यपाल ने कहा कि छात्र-छात्राए कॉलेज में, वैज्ञानिक तरीके से पढ़ेगें, तेजी से बदलती जरूरतों और समय के हिसाब से पढ़ेगे, तभी वे राष्ट्रनिर्माण में सकारात्मक भूमिका निभा पाएंगें। समय की माँग है कि विश्वविद्यालय इनफार्मेशन सेण्टर से ज्ञान के ट्रांसफॉर्मेशन-सेण्टर बने और शिक्षक ट्रांसफार्मर की भूमिका में आयें। विश्वविद्यालय का वातावरण, प्रवृत्ति ऐसी होना चाहिए जहाँ विद्यार्थी को जो चाहिए, वह मिले ताकि सम्पूर्ण जानकारी, संस्कृति, परंपरा और जीवन मूल्यों के ज्ञान के साथ विद्यार्थी परिसर से बाहर जाएँ। उनमें श्रम की गरिमा, राष्ट्र भक्ति, समाजसेवा, नैतिक, पारिवारिक मूल्यों, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता और स्वास्थ्य के संस्कार मजबूत हों। इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती पटेल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म जयंती के अवसर पर उनका विनम्र स्मरण किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन कुलपति मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय श्री अरुण पाण्डेय और आभार प्रदर्शन प्रतिकुलाधिपति श्री गौरव तिवारी ने किया।