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कृषि बिल किसान कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

"किसानों की बात - मुख्यमंत्री के साथ"
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों से किया संवाद


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संसद में पारित कृषि बिल किसानों के कल्याण को सुनिश्चित करते हुए उनकी आय को दुगनी करने का महत्वपूर्ण कदम है। छोटे किसानों के लिए मध्यप्रदेश सरकार पी.एम. किसान सम्मान निधि के साथ ही मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना प्रारंभ कर उन्हें 10 हजार रूपए वार्षिक देकर सहारा देने का कार्य करेगी। अभी-अभी केंद्र सरकार 2000 रूपये की तीन किश्त देकर योजना में छोटे किसानों को 6000 रूपये सालाना की मदद देती है। अब राज्य सरकार इसमें 4000 रूपये मिलाकर किसान को लाभान्वित करेगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज शाम आकाशवाणी भोपाल से प्रसारित 'किसानों की बात - मुख्यमंत्री के साथ' कार्यक्रम में किसानों से संवाद करते हुए यह जानकारी दी। आकाशवाणी के मध्यप्रदेश स्थित सभी केन्द्रों में इस कार्यक्रम का प्रसारण किया गया।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 किसानों को किसी भी माध्यम से उत्पादों के व्यापार, कृषि करार के माध्यम से बुवाई के पूर्व उपज के लाभकारी दाम निर्धारित करने और कृषकों को उत्पादन की गिरावट की परिस्थिति में मूल्य वृद्धि से लाभ सुनिश्चित करने के सशक्त प्रावधान हैं।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वे प्रधानमंत्री श्री मोदी को इन किसान कल्याण के प्रावधानों के लिए धन्यवाद देते हैं। कुछ लोग इन प्रावधानों के संबंध में भ्रम फैला रहे हैं। वास्तविकता यह है कि कृषि बिल किसानों के लाभ को सुनिश्चित करते हैं। मध्यप्रदेश में किसानों को बिना ब्याज के कृषि ऋण देने, किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ देने, फसल बीमा की राशि देने का कार्य किया गया। पहले 3100 करोड़ रूपये और बाद में 4600 करोड़ रूपये प्रीमियम राशि दी गई। जिन किसानों की फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं, उन्हें भी राहत राशि दी जाएगी।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि बिल के प्रावधान से किसान ताकतवार होगा। करार की स्थिति में फसल का ही करार होगा। जमीन किसान की ही रहेगी। उसके स्वामित्व को कोई ताकत चुनौती नहीं दे सकेगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसान को यह छूट होना ही चाहिए कि वह फसल कहीं भी बेचे। कृषि बिल में किसान से सीधे निर्यातकों को जोड़कर उन्हें बड़ी सुविधा प्रदान की गई है। फसल बोने के समय भी करार हो सकेगा।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आकाशवाणी के कार्यक्रम में किसानों से संवाद कर उनके सवालों के जवाब भी दिए।


1 सवाल - श्रीमती साधना पटेल ग्राम खैरा (जबलपुर) - कृषि विधेयक जो संसद में पास हुआ है, हमें इसकी जरूरत क्यों पड़ी ?


मुख्यमंत्री जी का जवाब - प्रधानमंत्री श्री मोदी किसानों की आय दुगनी करने के लिए चिंतित हैं। वे किसान हितैषी हैं। मण्डी में उपज नीलाम होती है। किसान सब्जी देकर जाता है तो उसे कमीशन भी देना होता है। नए कृषि बिल से किसान के घर से व्यापारी फसल खरीद सकता है। खेत से जाकर भी खरीद सकता है। ठीक दाम न मिले तो किसान का यह अधिकार है कि वह अन्य माध्यमों से फसल बेचे। किसान को विकल्प दिया गया है। इससे वो आने-जाने की झंझटों से भी बचेगा।


2 सवाल - श्री कृष्ण कटारे, ग्राम कल्याणपुरा (भिण्ड) - इस कृषि विधेयक से हम किसान भाईयों को क्या फायदा होगा ?


मुख्यमंत्री जी का जवाब - कृषि विधेयक से आपको फायदा ही फायदा है। हानि कोई नहीं है। यह बिल किसान को सुविधा प्रदान करता है। आप पूरी तरह निश्चिंत रहे।


3 सवाल - श्री रामजीवन मीणा, ग्राम शाहपुर (भोपाल) - भाईसाहब, गांव में ऐसी चर्चा है कि इस विधेयक के आने से मंडियां बंद हो जाएंगी। क्या ये सही है ?


मुख्यमंत्री जी का जवाब - मीणा जी कृषि उपज मंडी बंद नहीं होंगी। आप निश्चिंत रहें। हम अधोसंरचना को बेहतर बनाएंगे। व्यवस्थाएं और सटीक बनेंगी। कोई बेरोजगार नहीं होगा। एक लायसेंस से किसान को अधिकतम सुविधा मिलेगी। सुरक्षा निधि जरूर जमा कराई जाएगी। किसान को भुगतान भी तत्काल प्राप्त होगा। किसान के साथ प्रावधान के विपरीत जाकर कार्य करने वाले के लिए दण्ड की व्यवस्था भी की गई है।


4 सवाल - श्री किशोर दांगी, ग्राम बोलिया (मंदसौर ) - मुख्यमंत्रीजी इस बिल के आने के बाद क्या किसान मंडियों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी उपज नहीं बेच पाएंगे ?


मुख्यमंत्री जी का जवाब - न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जारी रहेगी। आप सभी से कह दें कि यह व्यवस्था पहले की तरह रहेगी। केन्द्र सरकार ने कल ही गेहूं के समर्थन मूल्य की घोषणा की है। गेहूं 1925 की जगह 1975 रूपये प्रति क्विंटल, धान 1815 के स्थान पर 1868, मसूर 4800 के स्थान पर 5100, उड़द 5700 के स्थान पर 6000 रूपए पर ली जाएगी। अन्य फसलों के समर्थन मूल्य में भी वृद्धि हुई है। इनमें मूंग 7050 के स्थान पर 7196, अरहर 5800 के स्थान पर 6000, सरसों 4425 के स्थान पर 4650, चना 4875 के स्थान पर 5100, मूंगफली 5090 के स्थान पर 5275 और मक्का 1760 के स्थान पर 1850 प्रति क्विंटल खरीदी जाएगा।


5 सवाल - श्री रमाकांत कुशवाह, ग्राम रेहड़ा (रीवा) - मुख्यमंत्री जी इस विधेयक से किसान भाईयों को अनाज का सही दाम नहीं मिल पाएगा? और किसान की उपज के भुगतान में भी समस्याएं आएंगी?


मुख्यमंत्री जी का जवाब - जो कानून बने हैं वे किसान को सही दाम दिलवाएंगे। किसान घर बैठे या खेत पर मौजूद रहकर फसल दे रहा है तो उसे यह सुविधा मिलेगी। उपज की कीमत के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। यह सब व्यवस्थाएं किसान को उत्पादन का ठीक दाम देने के लिए ही की गई हैं।


6 सवाल - श्री हरिनारायण परमार, ग्राम कुसमानिया (देवास) - भाईसाहब कुछ लोग किसानों के बीच यह बता रहें हैं कि इस विधेयक से किसानों को नहीं बल्कि खेती किसानों से जुड़ी बड़ी-बड़ी कंपनियों को फायदा होगा। विवाद भी होंगे। क्या यह सच्चाई है?


मुख्यमंत्री जी का जवाब - किसान को हम बताना चाहते हैं कि उन्हें किसी विवाद का सामना नहीं करना पड़ेगा। कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाने होंगे। कोई विवाद होता भी है तो स्थानीय स्तर पर समाधान हो जाएगा। किसान की मर्जी है वह जिस दर पर फसल बेचने के लिए करार करता है और उस दर से अधिक दर हो जाती है तो किसान को अधिक दर मिलेगी। लेकिन यदि बाजार में करार की राशि से कम पर फसल लेने की स्थिति होती है तो किसान को कम कीमत पर देने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा। कई बार यह होता है कि बाजार में भाव गिर जाते हैं। लेकिन किसान को पूरी कीमत मिलेगी। किसान के हित को प्राथमिकता दी गई है और उसके लिए पर्याप्त सुरक्षा की गई है। किसानों को फसल ले जाने से मुक्ति मिलेगी तो भाड़ा भी बचेगा। तीन दिन में आर.टी.जी.एस. से भुगतान होगा। एफपीओ भी करार कर सकेंगे।


7 सवाल - श्री शिवदयाल पटेल, ग्राम - गंज (छतरपुर) - भाईसाहब इस विधेयक से छोटे किसान जो बटाई प्रथा से खेती करते हैं उन्हें परेशानी तो नहीं होगी?


मुख्यमंत्री जी का जवाब - शिवदयाल जी आप चिंता न करें। आपका नुकसान नहीं होगा। बटाईदार का भी कोई नुकसान नहीं होगा। देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) बनाए जा रहे हैं। यह समूह किसानों को बाजार में उचित मूल्य दिलाने का कार्य करेंगे।


 


 

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