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कोरोना महामारी में समर्पित सेवा कर रहे जूनियर डॉक्टर्स के हित संरक्षण में निर्णय

प्रदेश के शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों में कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (डिग्री/डिप्लोमा) मेडीसिन, एनेस्थेसिया एवं पल्मनरी मेडीसिन के उत्तीर्ण विद्यार्थियों की सेवाएं अस्थायी रूप से पी.जी.एम.ओ. के रूप में कोविड-19 के कार्य के लिए सेवाएं ली गई है। कोरोना काल में ली गई सेवा अवधि के कार्य को उनके द्वारा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने के बाद की जाने वाली अनिवार्य ग्रामीण सेवा की अवधि में विकलनीय किए जाने का निर्णय लिया गया है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग ने कोविड-19 महामारी में समर्पित सेवाएं प्रदान कर रहे जूनियर डॉक्टर के हितों को संरक्षित करने के लिए यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टरों की अन्य मांगों को भी निश्चित समय-सीमा में निराकृत करने की भी कार्यवाही की जाएगी।


मंत्री श्री सारंग ने कोविड-19 डयूटी में पी.जी.एम.ओ. के रूप में सेवाएं प्रदान करने वाले जूनियर डॉक्टर की सेवा अवधि को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा स्वीकृत मानदेय पर 3 माह (अक्टूबर-दिसम्बर) के लिए बढ़ाये जाने का भी निर्णय लिया गया है।


विदित हो चिकित्सा महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के छात्र/छात्राओं को डिग्री/डिप्लोमा पाठ्यक्रम के बाद एक वर्ष की अनिवार्य ग्रामीण सेवा किए जाने का प्रावधान है। इस निर्णय के बाद कोविड-19 महामारी में पी.जी.एम.ओ. के रूप में समर्पित सेवाएं प्रदान करने वाले स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उत्तीर्ण छात्र/छात्राओं को लाभ मिल सकेगा। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन द्वारा विगत माह से इस आशय की मांग की जा रही थी।


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