नयी दिल्ली : भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का संकट बरकरार. एक तरफ रूस ने जहां कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है तो वहीं दूसरी तरफ कई देशों में अभी भी वैक्सीन को लेकर ट्रायल चल रहा है. कोराना संक्रमण काल में लगे लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां रूकने का असर दुनिया के तमाम देशों के अर्थव्यवस्थाओं पर देखा जा सकता है. सोमवार को आये आकंड़ों के अनुसार भारत की GDP में -23.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. इसे आजादी के बाद GDP में सबसे बड़ी गिरावट कहा जा रहा है. GDP के इस गिरावट के बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय एक अच्छी खबर भी आयी है.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश में पिछले साल के मुकाबले इस साल बिजली की खपत बढ़ी है. मंत्रालय ने गुरूवार को ये जानकारी दी कि 1 सितंबर 2020 को बिजली की मांग 1.62 गीगावाट थी जो पिछले साल इसी दिन की तुलना में 1 हजार मेगावाट ज्यादा है. बीते अप्रैल में लॉकडाउन के दौरान वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट आने से बिजली की मांग साल भर पहले की तुलना में करीब 25 प्रतिशत कम रही थी. लेकिन अब आंकड़े काफी उत्साहित करने वाले हैं.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में बिजली की उच्चतम मांग बीती दो जुलाई को 170.54 गीगावाट दर्ज की गयी थी, जो जुलाई 2019 के 175.12 गीगावाट से महज 2.61 प्रतिशत ही कम थी. बता दें कि कोराना संक्रमण काल में लोगों के घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) करने का चलन बढ़ गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार फरवरी से जुलाई के बीच देश में रिमोट वर्क या वर्क फ्रॉम होम की खोज में 442 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
बिजली की मांग में कमी का सीधा संबंध देश के उद्योगों की गतिविधियों से है. बता दें कि अक्टूबर 2019 में देश में बिजली की मांग एक साल पहले की तुलना में 13.2% गिरी थी. यह वास्तव में पिछले 12 साल में सबसे अधिक कमजोरी थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में बिजली की कुल खपत का 40% उद्योगों में खर्च होता है. घरेलू यूज में 25% बिजली खपत होती है जबकि वाणिज्यिक संस्थान 8.5% बिजली खर्च करते हैं. नवंबर 2019 में देश में बिजली की मांग 94.60 अरब यूनिट पर रही जो पिछले नवंबर में 98.84 अरब यूनिट पर थी.