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बच्चों की पढ़ाई की चिंता और गरीबी से मिला छुटकारा "खुशियों की दास्ताँ"

सांची पार्लर और फिनाइल स्टोर की मालिक है साधना


आज हमारा परिवार बहुत खुश है। मेरे पति को अब दूसरों के यहां नौकरी नहीं करनी पड़ती। मैं भी स्वयं के पैरों पर खड़ी होकर गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। गाँव और समाज में हम पति-पत्नि की एक अलग ही पहचान बनी है। घर का वातावरण भी खुशहाल है और सबसे बड़ी बात ये कि हमारे बच्चों की अच्छी शिक्षा का सपना साकार होता नजर आ रहा है । यह खुशियों की दास्तां बयां कर रही है बैरसिया तहसील के ग्राम रतुआ रतनपुर की निवासी श्रीमती साधना मालवीय पत्नि श्री सुरेश मालवीय। श्रीमती साधना कहती है कि स्व-सहायता समूह आज गरीब एवं असहाय महिलाओं के जीवन में रोशनी की किरण बन कर खुशियां बिखेर रहे है। 


   साधना बताती हैं कि श्री राम आजीविका स्व सहायता समूह से जुड़ने से पहले मेरे पति अकेले ही काम करते थे, उन्हें महीने के  चार हजार रूपये मिल पाते थे उससे बमुश्किल परिवार का भरण-पोषण हो पाता था।  गरीबी और बच्चों की पढ़ाई की चिंता हमेशा मन में रहती थी और मैं भी कुछ करना चाहती थी। इसी दौरान मुझे स्व-सहायता समूह, मिशन ब्लॉक टीम एवं सीआरपी टीम ने समूह से जुड़कर व्यवसाय करने के फायदें बतायें। मैं इन्हीं की सलाह पर समूह से जुड़ी। इसके बाद शुरूआत में कुछ परेशानियां आई लेकिन धीरे-धीरे हमारी समझ विकसित हुई एवं आगे चल कर हमने स्वयं के लघु व्यवसाय हेतु तीन अलग- अलग किश्तों में कुल 31 हजार 500 रूपए का ऋण प्राप्त किया। उक्त राशि से फिनाइल बनाने और सांची पार्लर का काम किया। 

   साधना खुशी-खुशी बताती है कि धीरे-धीरे हमारा व्यवसाय चल निकला। शुरू में 5-10 हजार प्रतिमाह आमदनी होती थी। धीरे-धीरे आमदनी में बढ़ोत्तरी होती गई और वर्तमान में 15 से 20 हजार रूपए हम प्रतिमाह कमा लेते हैं।

   वह कहती है कि अब मैं और मेरा परिवार सभी परिचितों को स्व-सहायता समूह से जुड़ने की सलाह देते हैं और हम शासन की इस जनकल्याणकारी योजना के लिए  शासन- प्रशासन सहित मुख्यमंत्री जी को भी बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं।

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