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आत्मनिर्भरता के साथ स्वयं की पहचान बनने से प्रसन्न हैं श्रीमती पुष्पा " खुशियों की दास्ताँ"

स्व-सहायता समूह महिलाओं को स्वयं की पहचान स्थापित करने में कारगर सिद्ध हो रहे हैं। स्व-सहायता समूह द्वारा लाभांवित होकर महिलाएं आत्म निर्भर तो हो ही रही हैं साथ ही उनकी अपनी पहचान बनने के कारण उनके आत्म विश्वास में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। 

   ऐसी ही एक खुशियों की दास्तां साझा कर रहीं हैं ग्राम सरवर ब्लॉक फन्दा निवासी श्रीमती पुष्पा। श्रीमती पुष्पा बताती हैं कि उनके संयुक्त परिवार में पति, पांच बच्चों सहित आठ सदस्य हैं। इतने बड़े परिवार का भरण-पोषण करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। घर में भैंस पालन कर दुग्ध विक्रय कर जो आय होती थी उससे परिवार चलाना अत्यंत कठिन था। वे बताती हैं कि वे भी दूसरों के खेत में छुटपुट कार्य कर कुछ अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करती थी। इसी बीच उन्हें स्व सहायता समूह की जानकारी प्राप्त होते ही आवश्यक कार्यवाही पश्चात वे राम स्व-सहायता समूह से जुड़ी और मनिहारी के सामान के लिए दस हजार रूपये का ऋण प्राप्त कर घर पर ही दुकान लगाकर महिलाओं के सौंदर्य का सामान विक्रय करना आरंभ किया। धीरे-धीरे सामान विक्रय होने से प्रति माह दो से तीन हजार रूपये की आमदनी होने लगी। आमदनी में और वृद्धि करने के उद्देश्य से उन्होंने 15 हजार रूपये का ऋण पुन: लेकर पति को किराने की दुकान स्थापित करवा दी। इस प्रकार दोनों दुकानों से 10 से 12 हजार रूपये प्रतिमाह की आमदनी होने लगी। 

   श्रीमती पुष्पा बताती है कि स्व- सहायता समूह हमारे परिवार के लिए नई राह बन कर आया। परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ साथ बच्चों की अच्छी परवरिश में भी काफी मदद मिल रही है। पुष्पा अति प्रसन्नता से शासन को धन्यवाद देते हुए कहती है कि समूह से जुड़कर उनकी अलग पहचान बनने के कारण आत्म विश्वास में भी बढ़ोत्तरी हुई है। वह कहती है कि आज समूह हम जैसी महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के साथ-साथ जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।

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