आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश वेबिनार में विभिन्न विषयों पर आयोजित सत्रों में विषय-विशेषज्ञों द्वारा दिये गये सुझावों के आधार पर मध्यप्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने में मदद मिलेगी। वेबिनार में 'भौतिक अधोसंरचना'' विषय पर 6 सत्र आयोजित किये गये, जिसमें विभिन्न विषय-विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिये। अपर मुख्य सचिव नर्मदा घाटी विकास और ग्रुप लीडर श्री आई.सी.पी. केशरी ने विभिन्न समूहों द्वारा विशेषज्ञों द्वारा दिये गये सुझावों के आधार पर तैयार की गई अनुशंसाओं की जानकारी दी।
ट्रेवल एण्ड टूरिज्म
अपर मुख्य सचिव नर्मदा घाटी विकास और ग्रुप लीडर श्री आई.सी.पी. केशरी ने बताया कि प्रायवेट इन्वेस्टमेंट को सपोर्ट करने और टैक्सों में मोहलत देने के लिये संस्थागत मेकेनिज्म को मजबूत करना, निजी निवेशकों के माध्यम से पर्यटन स्थलों को आकर्षक बनाना, स्पेसिफिक एवं थीम बेस्ड टूरिज्म सर्किट जैसे अमरकंटक, रामायण सर्किट, तीर्थांकर सर्किट, नर्मदा परिक्रमा, बफर में सफर, रूरल सर्किट और ट्रायबल सर्किट विकसित किये जायेंगे। एक्सपीरियंस टूरिज्म जैसे डायमण्ड टूर, साड़ी मेकिंग टूर, बैगा विलेज और स्थानीय त्यौहारों का प्रमोशन करना, कान्हा, बाँधवगढ़ और पेंच में टाइगर सफारी विकसित करना, पीपीपी मोड में 20 मनोरंजक गतिविधियाँ वाइल्ड लाइफ के नजदीक विकसित करना, मेडिकल और फिल्म टूरिज्म को बढ़ावा देना, राज्य के अंदर एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने और 3 साल में कम से कम 20 हजार सर्विस प्रोवाइडर्स की स्किल अपग्रेडेशन और केपेसिटी बिल्डिंग करने की अनुशंसाएँ की गई हैं।
रोड्स एण्ड बिल्डिंग्स
चम्बल प्रोग्रेस-वे और नर्मदा एक्सप्रेस-वे के काम में तेजी लाने के लिये उनकी फारेस्ट और माइनिंग से संबंधित एप्रूवल्स की कार्यवाही तेज करना, मौजूदा सड़कों के मेंटीनेंस, नवीनीकरण और अपग्रेडेशन को स्वयं की आय से करने, जिन सड़कों पर टोल नाके नहीं लगे हैं, वहाँ पर टोल नाकों की क्षमता का पूरा उपयोग करने, सड़कों और भवनों के निर्माण में आने वाले विवादों को सुलझाने के लिये उच्च-स्तरीय फोरम की स्थापना, शासकीय भवनों को स्वयं से बनाने के स्थान पर किराये और अनुदान के आधार पर लेने की संभावनाओं पर विचार, सभी शहरों में बाईपास और रिंग रोड के निर्माण के लिये सेल्फ फायनेंस मेकेनिज्म बनाने, सभी टोल प्लाजा पर फास्टेग सिस्टम लागू करना, बीओटी के आधार पर 13 मुख्य राजमार्ग विकसित करना, आई.टी. बेस्ड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम बनाने की अनुशंसाएँ की गई हैं।
लॉजिस्टिक्स एण्ड ट्रांसपोर्ट
परिवहन करों को स्ट्रीमलाइन करना, रूरल कनेक्टिविटी बढ़ाना, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक चेन, लिवरेजिंग तकनीकी विकसित करना, ई-गवर्नेंस के माध्यम से डिलेवरी सर्विसेस को बढ़ाना, जल्दी खराब होने वाली सामग्रियों के लिये एयर कार्गो स्थापित करने की नीति बनाने के प्रस्ताव किये गये हैं।
जल
ग्रामीण क्षेत्र में नलों के माध्यम से जल आपूर्ति मार्च-2024 तक शत-प्रतिशत की जायेगी। वर्ष 2020-21 में इसे 15 से बढ़ाकर 35 प्रतिशत बढ़ाया जायेगा, जो कि राष्ट्रीय औसत 25.28 प्रतिशत से अधिक होगा। निवाड़ी और बुरहानपुर जिले के सभी गाँवों में मार्च-2021 तक नलों से पानी उपलब्ध करा दिया जायेगा। 50 हजार से अधिक युवाओं को प्लम्बर, मेसन और इलेक्ट्रीशियन की ट्रेनिंग दी जायेगी। स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 5 लाख 50 हजार वर्कर्स को रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। सभी स्कूलों, अस्पतालों, आँगनवाड़ी केन्द्रों और पंचायतों में नलों के कनेक्शन दिये जायेंगे।
सिंचाई
वर्ष 2020-21 में 105 सिंचाई परियोजनाओं पर काम पूरा किया जायेगा। इससे 2 लाख 63 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी। इस तरह से कुल सिंचाई क्षमता प्रदेश में 40.27 से बढ़कर 42.90 लाख हेक्टेयर हो जायेगी। 26 हजार 100 करोड़ के 87 प्रोजेक्ट्स के लिये एजेंसी फिक्स करना, वर्ष 2021 से 2023 तक 225 प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य है। इससे सिंचाई क्षमता 53.36 लाख हेक्टेयर हो जायेगी। वर्ष 2026 तक सिंचाई क्षमता 75 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। डिसिल्टिंग आदि के उत्पादों को बेचकर 200 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष अतिरिक्त राजस्व अर्जित करना प्रस्तावित किया गया है।
ऊर्जा-विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट बनेगा
मध्यप्रदेश में ऊर्जा की आगामी जरूरतों को पूरा करने और इस क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाने के लिये 1320 मेगावॉट के थर्मल पावर प्लांट लगाने, सोलर पावर जनरेशन के माध्यम से ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर स्थापित करना, 4500 मेगावॉट के सोलर पार्क विकसित करना और ओंकारेश्वर में 600 मेगावॉट का विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट स्थापित करना, बेट्री स्टोरेज सुविधा उपलब्ध कराना, प्रमुख शहरों में पीपीपी मॉडल पर ई-व्हीकल चार्जिंग अधोसंरचना विकसित करना, ट्रांसमिशन एसेट का मौद्रीकरण, स्मार्ट मीटरिंग, विद्युत वितरण में निजी भागीदारी से सुटेबिल मॉडल बनाना और लाइन मेंटीनेंस के लिये आईटीआई में ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित करने की अनुशंसा की गई है।
शहरी विकास
दीनदयाल रसोई योजना 100 केन्द्रों में विस्तारित करने, शहरी आजीविका मिशन सभी शहरों में लागू करने, 7 शहरों में स्टार्ट-अप इंक्यूबेशन केन्द्र बनाना, 5 लाख स्ट्रीट-वेण्डर्स को केपिटल लोन उपलब्ध कराना, क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी 30 हजार ईडब्ल्यूएस लाभार्थियों को उपलब्ध कराना, सभी 378 नगरों को ओडीएफ प्लस करना, कचरे का 100 प्रतिशत सोर्स सेग्रीगेशन और 75 प्रतिशत तक सॉलिड वेस्ट की रिसाइकिलिंग, सभी नागरिक सुविधाएँ ऑनलाइन उपलब्ध कराना, शेष 269 शहरों में जीआईएस बेस्ड प्रापटी सर्वे करना, शहरों में ऑनलाइन लैण्डयूज सर्टिफिकेट और ले-आउट अप्रूवल, इंदौर और भोपाल मेट्रो ट्रेन के विभिन्न पैकेज के 100 प्रतिशत टेण्डरिंग, 100 शहरों में पीपीपी मॉडल पर एलईडी स्ट्रीट लाइट और एक लाख से अधिक आबादी के सभी शहरों का जीआईएस बेस्ड विकास करने की अनुशंसाएँ विशेषज्ञों द्वारा की गई हैं।