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तिलकजी की 100 वीं पुण्यतिथि, योगदान को किया याद - बड़वानी

तिलक जी ने कहा था स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा। वे यह भी कहते थे कि मैं अपना झण्डा स्वराज्य से एक इंच भी नीचे नहीं गाड़़ूंगा। उनका कहना था कि भिक्षा वृत्ति की नीति से स्वराज्य नहीं मिलेगा। आवेदन निवेदन से स्वतंत्रता नहीं मिलेगी, इसके लिए प्रखर प्रयास करने होंगे और उन्होंने ऐसा करके भी दिखाया। उनके प्रयासों से स्वतंत्रता संग्राम ड्राइंग रूम से निकलकर जनता तक पहंुचने लगा। ये बातें शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्षन प्रकोष्ठ द्वारा आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 100 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्षन प्रकोष्ठ के कार्यकर्ताओं प्रीति गुलवानिया, वर्षा सोलंकी, वर्षा मालवीया, किरण वर्मा, सलोनी शर्मा, जितेन्द्र चौहान, राहुल मालवीया, उमेष राठौड़, डॉ. मधुसूदन चौबे ने उनके योगदान के बारे में ऑनलाइन चर्चा करते हुए कहीं।
    प्राचार्य डॉ. आर. एन. शुक्ल के मार्गदर्षन में कोविड-19 काल में वर्क फ्राम होम के अंतर्गत निरंतर कार्यरत कॅरियर सेल के काउंसलर डॉ. चौबे ने कहा कि उनका जन्म 23 जुलाई, 1856 को तथा देहावसान 1 अगस्त, 1920 को हुआ था। लाल-बाल-पाल की त्रिवेणी ने देश में स्वतंत्रता की लड़ाई को नई दिषा दी। वे लेखक, पत्रकार, सम्पादक, शिक्षक, अनुसंधानकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने यातनाएं सहकर भी सृजन किया और देश को स्वराज्य दिलाने के लिए कार्य किया। सार्वजनिक रूप से गणेष उत्सव और शिवाजी उत्सव मनाने की शुरुआत उन्होंने ही की।


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