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राखी निर्माण एवं रिपैकिंग कर अच्छा मुनाफा कमा रही है स्व-सहायता समूह की महिलाए "खुशियों की दास्तां



     जिले के ग्राम बेरछा क्षेत्र के शक्ति, शीतल एवं एवन स्व-सहायता समूह स्व सहायता समूह की 12 महिलाएँ राखी निर्माण एवं रिपैकिंग कर अच्छा मुनाफा कमा रही है। राखी का सीजन लगभग एक से दो माह तक चलता है, जिसमें प्रति सदस्य लगभग 12 से 15 हजार रूपए की आमदनी अर्जित कर लेती है।
    समूह की महिला सदस्य रईसा बी, पांचू बाई, कृष्णा बाई, प्रेम बाई ने जानकारी देते हुए बताया कि राखियों के निर्माण में कच्चा माल उज्जैन-इंदौर से मंगाया जाता है। समूह की महिलाएं स्वयं तो राखियां बनाती है और बनी-बनाई राखियां लेकर री -पैकेजिंग का कार्य भी करती है, जिससे दोहरा मुनाफा हो जाता है। निर्माण कार्य में फोम वाली राखी जिसकी लागत 2 रूपए आती है, जिसे बाजार में आठ से दस रूपए तक में बेचा जाता है जिससे एक राखी पर लगभग 6 रूपए से 8 रूपए तक मुनाफा हो जाता है। इसी तरह मोतियों वाली राखी लागत 4 से 5 रूपए होती है, जिसे बाजार में 20 रूपए तक बेचा जाता है। इसी तरह रीपैकेजिंग करने पर एक से दो रूपए प्रति नग मेहनाता मिल जाता है। डिब्बों में पैकिंग करने पर 5 रूपए प्रति पैकेट लाभ मिलता है। निर्मित राखियों को यदि खेरची में बेचा जाता है तो उसका मुनाफा ज्यादा होता है। समूह की सदस्य आमना बी ने बताया कि राखियां बनाकर इनके विक्रय के लिए महिलाएं ही दुकान संचालित करती है। महिलाए आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में फेरी लगाकर बेची जाती है। राखियों को बेचने में महिलाओं के पति या उनके बेटों द्वारा भी सहयोंग किया जाता है। राखी विक्रय का कार्य जन्माष्टमी तक चलता है।
 



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