उपसंचालक कृषि श्री अशोक कुमार उपाध्याय द्वारा विकासखण्ड राघौगढ़ के ग्राम सोरामपुरा, गोविन्दपुरा, सुरंदरखेड़ी, नारायाणपुरा, प्रेमगढ, टोडरा, गावरी में खरीफ फसल में कीट एवं रोग से अचानक पीली पड़ रही सोयाबीन की फसल का निरीक्षण किया गया। उन्होंने खरीफ फसलों में कीट एवं रोग नियंत्रण के संबंध में कृषि विभाग के मैदानी अमले को निर्देशित किया कि वे कृषि विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी कृषि विज्ञान केन्द्र आरोन के वैज्ञानिकों के साथ लगातार ग्रामों का भम्रण करें। कृषकों को खरीफ फसलों में कीट एवं रोग नियत्रण हेतु कीट एवं रोग की पहचान एवं नियत्रंण हेतु अनुसंसित कीट नाशक एवं फफूंद नाशक दवाओं की जानकारी के साथ समसमायिक सलाह कृषकों को समय पर दें। इस अवसर पर कृषकों से भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि जिले में 5 डायग्नोस्टिक टीमों का विकास स्तर पर गठन किया गया है। जो कि सतत भम्रण कर कृषकों को कीट एवं रोगों के नियंत्रण हेतु सलाह दे रहे है। सोयाबीन फसल पर मुख्य रूप से तना मक्खी का प्रकोप पाया गया है। इस कीट का लक्षण सोयाबीन की पत्तिया पीली पड़ने लगती है। इल्ली तने के अंदर अण्डा रखती है। 5 से 7 दिन में अण्डे इल्ली में बदल कर पौधे के तने को खाती है। तने को चीर कर देखने पर खोखला तना एवं कीट का विस्टा दिखाई देता है। उन्होंने जिले के किसान भाईयों से आग्रह किया है कि वे अपने खेत में पीलापन दिखाई पड़ते ही एवं पीलापन दिखाई देने से पहले ही सोयाबीन के पौधे को निकाल कर इस कीट की पहचान तुरंत करें। इस कीट के नियंत्रण हेतु थायक्लोप्रिड 750 मिली या बीटासायफ्लूथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड 300 से 400 मिली या थायोमिथाकजाम + लेमडा सायहेलोथ्रिन 200 मिली प्रति हेक्टेयर का छिडकाव की सलाह एवं अनुशंसा कृषकों को दी गई। सोयाबीन फसल पर एंथ्रेकनोज एवं राईजोक्टोनिया रॉट राईजोक्टोनिया एरियल व्लाईट रोग के नियत्रंण हेतु कृषकों को हैक्साकोनाजोल 800 मिली प्रति हेक्टेयर या टेब्यूकोनाजोल 625 मिली प्रति हेक्टेयर का छिडकाव कि सलाह दी गई। |
फसल में कीट-व्याधि प्रकोप से बचने किसान भाईयों को कृषि विभाग ने दी सलाह "खेती-किसानी"
Friday, August 28, 2020
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