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मक्का एवं सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह

जिला स्तरीय कृषि डायग्नोस्टिक दल द्वारा राजगढ़ एवं खिलचीपुर, विकासखण्डों के ग्रामों का भ्रमण, कृषको की फसलों का लिया जायजा


     जिला स्तरीय कृषि डायग्नोस्टिक दल द्वारा राजगढ़ एवं खिलचीपुर विकासखण्डों के ग्रामों का भ्रमण किया, दल द्वारा जिले के विकासखण्ड राजगढ़ के ग्राम ऊंचाखेडा़, हिरणखेडा, कालीपीठ, टॉडीकलॉ, दफतरी एवं विकासखण्ड खिलचीपुर के ग्राम फतेपुरा,देवरी देवरियॉ, बावडीखेडा़ जागीर, खुरचनियाकलॉ, एवं जामुनिया ग्रामों में दिनांक 10.08.2020 को निरीक्षण दल जिसमें श्री व्ही.के.नायता, सहायक संचालक कृषि, डॉ. भगवान कुमवरात, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, राजगढ़, श्री सी.एल.वर्मा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, विकासखण्ड राजगढ़ एवं श्री कमलेश मालवीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, सम्मिलित थे। ग्रामीण कृषकों के साथ सोयाबीन एवं मक्का फसल का  निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में पाया गया:-
मक्का:-
     मक्का फसल देशी एवं हाईब्रीड किस्म की लगाई गई, जो लगभग 45 से 50 दिनों की अवधि की है, के कुछ प्रक्षत्रों में सैनिक कीट (फॉल आर्मी वर्म) इल्ली का प्रकोप मुख्य रूप से देखा गया है।
 पहचान:- सैनिक कीट के जीवन चक्र में चार अवस्थाए होती हैं। अंडा, लार्वा (इल्ली), प्यूपा एवं वयस्क। लार्वा (इल्ली) फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुचाने वाली अवस्था है। अण्डे से निकलने वाली इल्लियां हल्के पीले रंग की होती है, तथा सिर का रंग काला एवं नारंगी होता है। इल्ली के बड़ने के साथ-साथ रंग हरा, पीला, भूरा एवं काला हो जाता है। वयस्क इल्ली का रंग हल्के भूरा से गहरा भूरा होता है। पूर्ण विकसित इल्ली 30-36 एम.एम. होती है एवं सिर में रफेद रंग का उल्टा ल् आकृति दिखाई देती है। इल्ली के पाशर्व सतह पर तीन पीली लकीरे पाई जाती हैं एवं उदर के अंतिम खण्ड में चार काले बिन्दु होते हैं। इल्ली अवस्था वातावरण के अनुसार 12-20 दिनों की होती है।
    कीट नियंत्रण:- किसान भाईयों से अपील की जाती है कि खरीफ फसलों की सतत् निगरानी करते रहें यदि उक्त इल्ली का प्रकोप हो तो फ्लूमेन्डामाईड 480 एस.सी. 150 एम.एल. प्रति हेक्टेयर या क्लोरेण्ट्रनिलिप्रोल 18.5 एस.सी., 150 मि.ली.प्रति हैक्टर अथवा इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एस.जी., 200 ग्राम प्रति हेक्टर या लेम्डासायहेलोथ्रीन $ थायोमेथाक्सान 125 मि.ली प्रति हेक्टर दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाउ करें।
    सोयाबीन:- सोयाबीन फसल JS-9560 एवं JS-9305 लगाई गई है। फसल की ऊंचाई सामान्य है। फसल 45 से 50 दिन की हो चुकी है। फसल पुष्पन से फली अवस्था पर है एवं सोयाबीन के कुछ प्रक्षेत्र में गर्डल बीडल (चक्र भृंग) एवं सेमीलुपर इल्ली का प्रकोप मुख्य रूप से देखा गया है।
इल्ली की पहचान:-
    गर्डल बीडल (चक्र भृंग):- सर्वप्रथम मादा पौधे के तने, साखा अथवा पर्णवृत पर (फसल के बड़वार के अनुसार) 2 चक्र बनाती है। नीचले चक्र के समीप एक छिद्र बनाकर पौधे के अन्दर एक हल्के पीले रंग का अण्डा देती है। 2 चक्रों के बीच का हिस्सा खोलने पर यह अण्डा स्पष्ट दिखाई देता है। चक्र बनाने के कारण चक्रों से ऊपर वाले पौधे का भाग मुरझाकर सूख जाता है, जो कि चक्र भ्रंग होने का सूचक है।
कीट नियंत्रण:- पौधों के कीट लगने के बाद 15 दिनों में दो बार चक्र के नीचे से प्रभावित पौधा या उसके भाग को निकाल दे। यदि समस्या बनी रहती है, तो थाइक्लोप्रीड 21.7 एस.सी., 750 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या ट्रायजोफास 800 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या प्रेफेनोफॉस 50 ई.सी. 1000 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. 150 एम.एल. प्रति हेक्टेर या बीटासायफ्लूथ्रिन 8.49 प्रतिशत$इमिडाक्लोप्रीड 19.81 प्रतिशत, ओडी 350 मि.ली. प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ फसलों पर छिड़काव करें।
    अर्धकुण्डलक इल्ली (सेमीलुपर):- हरि इल्ली का प्रकोप रिमझिव वर्षा में अधिक होता है। अर्धकुण्डलक इल्लियां सोयाबीन की पत्ती खाने वाली इल्ली में प्रमुख है। यह सभी इल्लियां प्रारम्भ में पत्तियों पर छोटे-छोटे छेद बनाकर खाती है। बड़ी होने पर यह पत्तियों पर बड़े-बड़े अनियमित छेद कर देती है। अधिक प्रकोप होने पर पत्तियों पर सिरायें मात्र ही शेष रह जाती है, जिसके पश्चात् इनका आक्रमण कलिकाओं, फूलों एवं नव विकसित फलियों पर प्रारम्भ हो जाता है।
    कीट नियंत्रण:- कीट प्रकोप प्रारम्भ होने पर बेसिलस थूरिजिएन्सीस या ब्यूवेरिया बेसीआना आधारित कीटनाशक एक लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से फसलों पर छिड़काव करें। बड़ी इल्लियों के नियंत्रण हेतु प्रत्येक हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ बिटासायफ्लूथ्रिन 8.49 प्रतिशत$इमिडाक्लोप्रीड 19.81 प्रतिशत ओडी 350 मि.ली. प्रति हेक्टेर या क्लोरेण्ट्रनिलिप्रोल 18.5 एस.सी., 150 मि.ली. ग्राम प्रति हेक्टर फ्लुबेंडामाइट 39.35, 500 मिली प्रति हेक्टेयर या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी., 1000 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या क्विनालफास 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या इंडोक्साकार्व 333 मि.ली. प्रति हेक्टेयर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।


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