प्रकाश प्रपंच एवं नीम की पत्ती का काढ़ा उपयोग करने की सलाह
बालाघाट जिले में धान फसल के अनुरूप वर्षा होने के कारण धान का रोपा लगाने का कार्य पूर्ण हो चुका है। लेकिन धान की फसल में गंगई कीट (पोंगा) का प्रकोप देखा जा रहा है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो किसानों को बहुत नुकसान हो सकता है। ऐसी स्थिति में गंगई कीट (पोंगा) पर नियंत्रण के लिए राणा हनुमान सिंह कृषि विज्ञान केन्द्र बड़गांव के वैज्ञानिकों द्वारा जिले के किसानों को सलाह दी गई है।
किसानों को दी गई सलाह में कहा गया है कि बालाघाट जिले के किसानों के धान की फसल में गंगई कीट (पोंगा) का प्रकोप बढ़ता जा रहा हैं। इसके नियंत्रण के धान के खेत में नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की मध्यम मात्रा प्रयोग न करते हुए इसकी मात्रा को तीन हिस्सों में बांट कर समय-समय पर प्रयोग करें। 5-7 दिनों तक खेत का पानी निकाल दें। गंगई का वयस्य कीट शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सक्रीय रहता हैं। अतः इस समय रात में ’प्रकाश प्रपंच’’ लगाकर वयस्क कीट का नियंत्रण करें। नीम की पत्ती का काढ़ा 10 प्रतिशत या नीम की नोम्बोली का काढ़ा 5 प्रतिशत या नीम का तेल 5 प्रतिशत का छिड़काव करें। प्रभावित फसल अवशेषों को जमा कर नष्ट करें। खेत को खरपतवार से मुक्त करें।
अत्यधिक प्रकोप होने पर रासायनिक दवाईयों में कार्बोसल्फ्युरॉन 25 प्रतिशत ई.सी. 350-400 मि.ली. या इथोफेनप्राक्स 10 प्रतिशत ई.सी. 200-300 मि.ली. या फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. 400-500 मि.ली. या लेम्डासायहेलोथ्रीन 5 प्रतिशत ई.सी. 100-150 मि.ली. या थायोमेथाक्जाम 25 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।