Type Here to Get Search Results !

>जिले में हरियाली महोत्‍सव पर होगा वृहद पौधा रोपण कार्यक्रम

त्रिवेणी रोपण के साथ ही लगाए जाएंगे अन्‍य 51000 फलदार पौधे










   दिनांक 20 जुलाई 2020 सोमवार को हरियाली अमावस्या पर गुना जिला प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण हेतु एक इतिहास बनाने जा रहा है जिसके साक्षी बनेंगे 425 ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि, ग्रामीण जन और ऐसे गणमान्य नागरिक एवं पर्यावरण प्रेमी जोकि पर्यावरण संरक्षण हेतु अपना समय एवं मार्गदर्शन प्रदान करना चाहते हैं।
    इस आशय की जानकारी में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री निलेश परीख ने बताया कि सोमवार 20 जुलाई को जिला प्रशासन द्वारा कलेक्टर श्री कुमार पुरूषोत्‍तम के मार्गदर्शन में एक ही दिन एक निर्धारित समय (प्रातः 10:00 बजे से 1:00 बजे तक) पर एक ही साथ 2100 त्रिवेणी लगाई जा रही है। त्रिवेणी में बरगद, नीम, पीपल के पौधे त्रिभुज आकार में एवं कदम एवं गूलर साथ में इस तरह से 11,000 पौधे लगाने का संकल्प लिया है। जहां बरगद का वृक्ष शताब्दियों तक शीतलता एवं छाया प्रदान करता है तथा ग्रंथों में बरगद की छाल में विष्णु जड़ मैं ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव के बास का उल्लेख है। साथ ही इसकी छाल और पत्तों में औषधीय गुण रहते हैं तथा यह वृक्ष अकाल में भी हरा भरा रहता है। वहीं पीपल विषैली कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और हर समय प्राणवायु प्रदान करता है, जिस कारण पूजा जाता है। नीम औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण त्वचा, पेट, आंखों और विषाणु जनित रोगों के लिए लाभदायक एवं एंटीबायोटिक होता है। गूलर एवं कदम धार्मिक और पर्यावरण महत्त्व के पौधे है। इन 2100 त्रिवेणी को 11000 पौधों के साथ ही साथ 51000 अन्य पौधे जैसे कि इमली, कैथा, आंवला, बेल, सहजन, अमरूद ,देसी आम गुलमोहर, जामुन, नीम, नींबू  सतपर्णी आदि के रोपित किए जा रहे हैं।
उन्‍होंने बताया कि पौधरोपण के पूर्व के अनुभवों को देखते हुए यह प्रयास किया जा रहा है कि उक्त पौधों के रोपण के साथ-साथ इनके पोषण एवं सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए। इस  हेतु पूर्व से तैयारी की जा चुकी हैं। जिसमें पेड़ के बढ़वार के आधार पर उनके लिए  अनुसंशित आकार के गड्ढे  खोदे जा चुके हैं तथा वृक्षों की बड़वार  सुनिश्चित करने हेतु केंचुए की खाद, पौधों को पोषक तत्व के लिए एनपीके खाद एवं कीट बीमारियों से सुरक्षा के लिए फोरेट का प्रयोग किया जा रहा है तथा जानवर आदि से सुरक्षा हेतु ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों को प्रोत्साहित कर ट्री गॉर्ड और सुरक्षित स्थानों जैसे पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, तालाब के किनारे, स्वास्थ्य केंद्र, धार्मिक स्थल, विद्यालय, उपासना स्थल आदि पर त्रिवेणी का रोपण किया जा रहा है।  वही अन्य 51000 पौधों के रोपण हेतु ग्रामीणों के निजी खेत पर व्यवस्था की गई है। साथ ही साथ ग्रामीण युवा, स्वयं सहायता समूह की दिदिया एवं परिवार के सदस्य, पंचायतों के प्रतिनिधि आदि को पौधों की सुरक्षा हेतु पौधों को गोद लेकर उनके नाम की पट्टिका लगवा कर उनके देखभाल की भी जवाबदारी दी जा रही है।
उक्त कार्य को सफल बनाने हेतु टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए प्रत्येक गड्ढे एवं पौधरोपण स्थल की इंफ्रा मेपिंग ऐप के माध्यम से सतत निगरानी की जा रही है तथा आने वाले समय में इनके विकसित होने की भी इस ऐप के माध्यम से निगरानी की जानी है ताकि उक्त कार्यक्रम को अधिक से अधिक सफल बनाया जा सके। 
जिले के ऐसे समस्त प्रकृति प्रेमी नागरिकों से अपील है कि जो धरती मां के इस हरियाली के श्रंगार में एवं प्रकृति तथा पर्यावरण के संरक्षण में अपना अमूल्य समय एवं मार्गदर्शन तथा पौधों की सुरक्षा हेतु समय दे सकते हैं। वह इस अभियान में जिला प्रशासन के भागीदारी बन इस महोत्सव में आनंदित होकर प्रकृति के संरक्षण में सहयोग प्रदान कर सकते है। जिला प्रशासन द्वारा इस अद्धभुत कार्य को क्रियान्वयन करने के साथ-साथ यह भी प्रयास किया जा रहा है कि यह कार्य लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो, ताकि आने वाले समय में इससे अन्य जिले संस्थाएं एवं नागरिक प्रेरित होकर इस तरह के कार्य की पुनरावृति करें।
    मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री परीख ने बताया कि मत्स्य पुराण में वृक्ष के महत्व को इस तरह दर्शाया गया है कि  -
    दस कुंओ के बराबर एक बावड़ी, दस बावड़ी के बराबर एक तालाब, दस तालाबों के बराबर एक संतान तथा दस संतानों के बराबर एक वृक्ष
    उन्‍होंने सभी से मिलकर अपनी आने वाली पीढ़ियों  को एक स्वच्छ सुंदर प्राणवायु युक्त वातावरण एवं धरती मां की हरी-भरी गोद देने का प्रयास करने की अपील की है।



Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.