अब तक ऑल टाइम सर्वाधिक 129 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन-----
मध्यप्रदेश ने समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन में देश में नया रिकार्ड बनाया है। प्रदेश में 15 जून तक एक करोड़ 29 लाख 28 हजार मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन मध्यप्रदेश में किया गया है। गेहूँ की यह मात्रा पूरे देश में किसी राज्य द्वारा अब तक की गई खरीदी का ऑलटाइम रिकार्ड है। अभी तक इतनी मात्रा में गेहूँ का उपार्जन किसी भी राज्य में नहीं किया गया है।
मध्यप्रदेश सरकार ने उपार्जित गेहूँ में से एक करोड़ 25 लाख मीट्रिक टन गेहूँ गोदामों में सुरक्षित परिवहन किया है, जो कि कुल उपार्जन का 97 प्रतिशत है। अभी तक 45 जिलों में शत-प्रतिशत परिवहन का कार्य पूर्ण हो गया है। शेष 7 जिलों में तीव्र गति से परिवहन का कार्य कराया जा रहा है। इंदौर और उज्जैन जिलों में मार्कफेड और नागरिक आपूर्ति निगम दोनों एजेंसियों को कार्य पर लगाकर तेजी से परिवहन कार्य पूर्ण करने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। उपार्जित गेहूँ के विरूद्ध लगभग 22 हजार करोड़ का भुगतान 14 लाख 88 हजार किसानों के खातों में किया गया।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गेहूँ उपार्जन के प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। मुख्यमंत्री ने 23 मार्च से लगातार 75 बैठकें एवं जिला कलेक्टर्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर गेहूँ उपार्जन की प्रतिदिन समीक्षा की। कोरोना लॉकाडाउन एवं निसर्ग तूफान के अवरोध को पीछे छोड़ते हुए उपार्जन कार्य में लगा अमला कोरोना योद्धा और मध्यप्रदेश के किसान कोरोना विजेता सिद्ध हुए है।
मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूँ उपार्जन के लिए प्रभावी रणनीति बनाई। पिछले वर्ष किये गये उपार्जन से बढ़कर 100 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए बारदानों और भण्डारण की व्यवस्था की गई। कोरोना की विषम परिस्थिति के कारण उपार्जन कार्य देर से 15 अप्रैल से शुरू किया गया। सरकार इस बात के लिए सचेत थी कि मंदी और आवागमन बाधित होने के कारण किसानों से पिछले वर्ष की अपेक्षा कही ज्यादा उपार्जन कम अवधि में करना होगा। सरकार द्वारा तुरंत ही अतिरिक्त बारदानों एवं भण्डारण की व्वस्था की गई। लॉकडाउन के बावजूद 25 लाख मीट्रिक टन के लिए अतिरिक्त बारदानों की व्यवस्था की गई। बारदानों के सुनियोजित प्रबंधन के फलस्वरूप लक्ष्य से अधिक इतनी बड़ी खरीदी होने के बाद भी बारदानों की कमी नहीं होने दी गई। लॉकडाउन में ही कार्य करते हुए 10 लाख मीट्रिक टन के लिए भंडारण की अतिरिक्त व्यवस्था की गई।
सबसे बड़ी चुनौती ज्यादा किसानों से कम अवधि में ज्यादा उपार्जन करना था। इसके लिए पिछले वर्ष उपार्जन केन्द्रों की संख्या 3 हजार 545 को बढाकर 4 हजार 529 केन्द्र खोले गये। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किसानों को एसएमएस भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई ताकि एसएमएस प्राप्त किसान ही खरीदी केन्द्र पहुँचें। सही समय पर खरीदी पूर्ण करने की चुनौती को देखते हुए पहली बार यह सुविधा दी गई कि कलेक्टर स्वयं एक-एक केन्द्र पर एसएमएस संख्या निर्धारित कर सकें। किसानों को कोरोना के प्रति सजग रहने और अन्य जानकारी देने के लिए 75 लाख एसएमएस भेजे गए।