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लॉकडाउन के दौरान आत्म-निर्भर बनकर स्व-सहायता "दास्तां खुशियों की" समूह की महिलाओं ने की जरूरतमंदों की भी मदद



      जब कोई महिला जागरूक और आत्म-निर्भर बनती है तो इससे न केवल उसकी वर्तमान पीढ़ी बल्कि आगे आने वाली कई पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित और उज्जवल हो जाता है। इसी उद्देश्य से महिलाओं को आत्म-निर्भर और सशक्त बनाने के लिये जिले में मध्यप्रदेश डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन कलेक्टर श्री सौरभ कुमार सुमन एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री गजेंद्र सिंग नागेश के मार्गदर्शन में निरंतर कार्य कर रहा है । इसी कड़ी में आजीविका मिशन के माध्यम से जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बिछुआ विकासखंड की ग्रामीण महिलायें आत्म-निर्भरता और महिला सशक्तिकरण की मिसाल प्रस्तुत कर रही हैं । कोविड-19 कोरोना वायरस महामारी के दृष्टिगत देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान इन महिलाओं ने मास्क, सेनेटाईजर, स्कार्फ, एप्रिन, किचिन एप्रॉन, साबुन आदि का निर्माण कर जहां एक ओर लगभग 7 लाख रूपये से अधिक की आय प्राप्त कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ हुई हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अनाज बैंक की स्थापना कर अन्य जरूरतमंदों की मदद भी की है। इन स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किये गये कार्य की सर्वत्र सराहना की जा रही है। 
   ग्रामीण आजीविका मिशन के संचार प्रभारी जिला प्रबंधक श्री संजय कुमार डेहरिया ने बताया कि आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक श्रीमती रेखा अहिरवार के मार्गनिर्देशन में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र विकासखंड बिछुआ में माह अगस्त 2017 से स्व- सहायता समूहों का गठन प्रारंभ कर जरूरतमंद एवं अनुसूचित जनजातियों के परिवार की महिला सदस्यों को शामिल करते हुये अभी तक 695 स्व-सहायता समूहों का गठन किया जा  चुका है। कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिये किये गये लॉकडाउन के दौरान इन महिलाओं ने 67 हजार 551 से अधिक मास्क का निर्माण कर लगभग 7 लाख रूपये से अधिक और 400 लीटर सेनेटाईजर का निर्माण कर एक लाख रूपये से अधिक की आय प्राप्त की है। इसके साथ ही इन समूहों को ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा आपदा राहत राशि, चक्रीय राशि सामुदायिक निवेश निधि और बैंक लिंकेज सीसीएल के माध्यम से लगभग 25 लाख रूपये की राशि प्रदाय की गई है जिससे समूहों के सदस्यों ने गांव में छोटी-मोटी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये 80 किराना दुकान और 65 महिला सब्जी दुकान व मास्क विक्रय के मिनी स्टोर खोलें है। इन सबसे प्रत्येक महिला सदस्य को लगभग 5 हजार रूपये की आय प्राप्त हुई है। इसके अतिरिक्त समूह की महिलाओं के लगभग 5 हजार परिवारों को कोरोना महामारी से बचाव संबंधी प्रशिक्षण दिया जा चुका हैं। इस क्षेत्र में 4 सिलाई सेंटर भी खोले गये हैं जिसमें लगभग 145 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर सिलाई के कार्य में लगाया गया है।
   जिला प्रबंधक श्री डेहरिया ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान गांव के जरूरतमंदों और प्रवासी मजदूरों की आवश्यकताओं को समझते हुये इन स्व-सहायता समूह की दीदीओं द्वारा सभी ग्राम संगठनों में महिला समूहों के सदस्यों द्वारा स्वेच्छा से थोडा-थोड़ा आटा, दाल, चांवल व गेहूं आदि 15 क्विंटल से अधिक अनाज और नमक व अन्य सामग्री एकत्रित कर अनाज बैंक की स्थापना की गई और यह सामग्री जरूरतमंदों को वितरित की गई । कोविड-19 कोरोना वायरस महामारी के संकट काल में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की इन महिलाओं द्वारा जरूरतमंदों के सहयोग के लिये उठाये गये इस कदम को जिले भर में सराहा जा रहा है।  



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