किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के उपसंचालक श्री एम.एस.देवके ने जिले के किसानों से अनुरोध किया है कि, कपास फसल की बुआई सिंचाई के साधन होने पर ही करें, सोयाबीन एवं अन्य तिलहनी एवं दलहनी फसलो की बुआई 15 जून के बाद चार इंच से अधिक वर्षा होने पर ही बुआई करें। मानसून के आगमन के पश्चात पर्याप्त नमी (कम से कम 100 मि.मी. वर्षा) होने की स्थिति में ही बुआई करें।
1. सोयाबीन बीज की अंकुरण क्षमता की जांच करे, जो कि न्यूनतम अंकुरण 70 प्रतिशत होना चाहिए। बीज की अंकुरण क्षमता को किसान भाई घर पर ही जांच कर लेवे सोयाबीन बीज के 100 दाने गीली टाट में या मोटा सूती कपडे में भीगोकर 3 से 4 दिन रखे तापमान एवं नमी बनाये रखे। सोयाबीन के 100 बीज मे से 65-70 बीज अंकुरित होता है तो ऐसे सोयाबीन का बीज बोने के लिये उपयुक्त है। प्रति एकड़ 30 किलो सोयाबीन बीज पर्याप्त होता है।
2. बुआई करने से पहले सोयाबीन के बीज को अनुशंसित रायजोबियम कल्चर एवं फास्फोरस घोलक बेक्टिरिया पावडर (प्रत्येक 5 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से) उपचारित करे। तत्पश्चात इसे अनुशंसित फफूंदनाशक (2 ग्राम थायरम एवं 1 ग्राम कार्बेन्डेजिम या ट्रायकोडर्मा) उपचारित कर बोआई करें।
3. सोयाबीन की फसल में अन्तवर्तीय फसल के रूप में सोयाबीन की 12 कतार के बाद मक्का या ज्वार की तीन कतार लगाये।
4. वर्षा की अनिश्चितता एवं सुखे की समस्या के कारण सोयाबीन की फसल मंे होने वाली संभावित उत्पादन में कमी को देखते हुए मेड नाली पद्धती से बुआई करे।
5. सोयाबाीन की बुआई करते समय बीज की गहराई 2 से 2.5 से.मी. होनी चाहिए, जिससे कि सोयाबीन की अंकुरण क्षमता प्रभावित ना हो साथ ही रिज एण्ड फरो पद्धति का उपयोग कर बुआई करें।
6. सोयाबीन की बुआई हेतु अनुशंसित कतार से कतार की दूरी 30 एवं पौधो से पौधो की दूरी 45 से.मी. रखी जायें।
7. कपास की अलग-अलग किस्मों की अवधि के अनुसार बोनी करे, जिससे की मौसम की विविधता होने पर फायदा मिल सके। कपास में भी किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि अन्तवर्तीय फसल के रूप में कपास की आठ कतार के बाद तीन कतार मक्का या ज्वार या तुअर लगाये।
कपास फसल की बुआई सिंचाई के साधन होने पर ही करें - बुरहानपुर |
Saturday, June 06, 2020
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