मिल रहे है बेहतर परिणाम, माइल्ड एवं एसिंप्टोमेटिक कोविड मरीजों का निर्धारित मापदंडों के अनुसार घर में हो रहा है इलाज- मरीज हो रहे है स्वस्थ , एप के के माध्यम से की जा रही है सतत निगरानी, 93 पेशेंट का होम आइसोलेशन हो चुका है पूर्ण-------
इंदौर में कोरोना मरीजों को घर में रख कर इलाज की अभिनव व्यवस्था प्रारंभ की गई है। यह व्यवस्था कारगर साबित हो रही है। इसके बेहतर परिणााम भी मिलने शुरू हो गये है। माइल्ड एवं एसिंप्टोमेटिक कोविड मरीजों का निर्धारित मापदंडों के अनुसार घर में इलाज किया जा रहा है। घर में रहकर उन्हें उपलब्ध कराये जा रहे इलाज और सुविधाओं से मरीज स्वस्थ भी होने लगे है। कलेक्टर श्री मनीष सिंह के निर्देशन में ऐसे मरीज जिनका घर में उपचार किया जा रहा है उनके मॉनिटरिंग और इलाज संबंधी परामर्श तथा उपचार के लिये एक एप बनाया गया है। साथ ही अत्याधुनिक सुविधा से युक्त कंट्रोल रूप में स्थापित किया गया है इस कंट्रोल रूप और एप के के माध्यम से की जा रही है सतत निगरानी की जा रह है और उन्हें परामर्श तथा आवश्यकता के अनुसार उपचार और अन्य मदद मुहैया कराई जा रही है।
जानकारी दी गई है कि अभी तक 93 पेशेंट का होम आइसोलेशन का समय पूरा हो चुका है । इंदौर नगर निगम की 311 ऐप में होम आइसोलेशन का फीचर जोड़ा गया है। जिसके द्वारा कोविड-19 संक्रमण के माइल्ड तथा एसिंप्टोमेटिक पॉजिटिव प्रकरणों को निर्धारित मापदंडों के अनुसार होम आइसोलेट कर सतत् निगरानी रखी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि, होम आइसोलेशन की यह व्यवस्था 5 मई 2020 से क्रियाशील है। आज दिनांक तक की स्थिति में होम आइसोलेशन से 190 मरीजों को मॉनिटर किया जा रहा है। जिसमें से 97 एक्टिव प्रकरण हैं तथा 93 मरीजों का होम आइसोलेशन पूर्ण हो चुका है। होम आइसोलेशन ऐप के माध्यम से आज दिनांक तक कुल 7 मरीजों को हॉस्पिटल रेफर किया गया है जिनमें से 6 डिस्चार्ज हो चुके हैं तथा एक मरीज अस्पताल में उपचाररत है।
होम आइसोलेशन हेतु प्रोटोकॉल
होम आइसोलेशन के प्रोटोकॉल के तहत मरीज के घर में एक सेपरेट रूम जिसमें अटेज्ड लेटबाथ हो, होना चाहिए। मरीज की देखभाल करने के लिए सहायक अथवा केयर गिवर होना चाहिए, जो चौबीसो घंटे मरीज की आवश्यकतानुसार सहायता कर सके। होम आइसोलेशन में रह रहे व्यक्ति समस्त सावधानियों जैसे मास्क, हैंड ग्लव्स, सैनिटाइजर का उपयोग करें, जिससे संक्रमण फैलने से रोका जा सके। इसके साथ ही पेशेंट द्वारा एक डिक्लेरेशन फॉर्म भी भरा जाता है जिसमें वह 17 दिन का होम आइसोलेशन निर्धारित मापदंडों के अनुसार पालन करने की सहमति देता है।
आइसोलेशन का यह समय चक्र (सायकिल) 17 दिनों में पूर्ण होती है इसके पश्चात संबंधित को घर में अन्य 14 दिनों के लिए आइसोलेशन हेतु निर्धारित मापदंडों जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, ग्लब्स का प्रयोग एवं घर से बाहर ना निकलना आदि का पालन करना होता है। इस प्रकार कुल 31 दिनों में आइसोलेशन चक्र पूर्ण होता है। 17 दिनों के होम आइसोलेशन के पश्चात संबंधित व्यक्ति को आरआरटी द्वारा एक कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया जाता है।
ऐसे होता है घर में रख कर इलाज
होम आइसोलेट किए गए मरीज को रैपिड रिस्पांस टीम द्वारा एक मेडिसिन किट एवं एक पल्स ऑक्सीमीटर दिया जाता है। मेडिसन किट में एलोपैथी, होम्योपैथी एवं आयुर्वेदिक दवाइयां होती हैं। यह मुख्यतः पेशेंट की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करती है। पल्स ऑक्सीमीटर द्वारा ऑक्सीजन सैचुरेशन तथा पल्स रेट मापा जाता है। आइसोलेट किए गए व्यक्ति द्वारा ऐप के माध्यम से ऑक्सीजन सैचुरेशन तथा पल्स रेट हर 4 घंटे के अंतराल में फीड किया जाता है। जैसे ही कोई पेशेंट आंकड़े फीड करता है, वह एसजीआईटीएस कॉलेज स्थित कंट्रोल रूम के मॉनिटर पर प्रदर्शित होता है। यदि कोई पेशेंट उससे संबंधित डाटा फीड नहीं करता है तो कंट्रोल रूम स्थित ड्यूटी डॉक्टर उससे कॉल कर जानकारी लेता है। कंट्रोल रूम में चार ड्यूटी डॉक्टर उपस्थित हैं जिनके द्वारा होम आइसोलेटेड मरीजों पर 24 घंटे निगरानी रखी जाती है।
कंट्रोल रूम के ड्यूटी डॉक्टर द्वारा प्रतिदिन कम से कम दो बार पेशेंट को कॉल किया जाता है। जिसके अनुसार उनकी स्वास्थ्य की स्थिति पर निगरानी रखी जा सकें। यदि किसी पेशेंट का ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 प्रतिशत से कम हो जाए, पल्स रेट 60 से कम आय अथवा उसे सांस लेने में दिक्कत हो तो आरआरटी द्वारा ऐसे पेशेंट के घर जाकर चेक किया जाता है, तथा आवश्यकतानुसार संबंधित को अस्पताल रेफर किया जाता है।
इस प्रोजेक्ट हेतु नगर निगम आयुक्त श्रीमती प्रतिभा पॉल प्रोजेक्ट इंचार्ज हैं। होम आइसोलेशन कंट्रोल रूम के प्रशासनिक इंचार्ज जिला पंचायत सीईओ श्री रोहन सक्सेना, होम आइसोलेशन ग्रुप के चीफ कोऑर्डिनेटर डॉ हेमंत जैन तथा एसडीएम, आरआरटी, कंट्रोल रूम डॉक्टर, कंप्यूटर ऑपरेटर तथा पेशेंट एवं केयर गिवर से कोऑर्डिनेट करने हेतु डॉक्टर सुनील गंगराड़े नियुक्त हैं।