आँगनवाड़ी कार्यकर्ता रेणुका सोलंकी जिन्हें न किसी ने कहा और न ही किसी ने आर्डर दिया, फिर भी स्वप्रेरणा से, अपना कर्त्तव्य समझकर लॉकडाउन शुरू होते ही अपना लक्ष्य लेकर चल पड़ीं। उन्हें आभास था कि लॉकडाउन के बाद उनके क्षेत्र के कई परिवार ऐसे होंगे जिन्हें उनकी जरूरत होगी। इसलिए बिना किसी के कहे, उन्होंने सर्वे कार्य शुरू किया। इंदौर जिले के रंगवासा गाँव में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता रेणुका सोलंकी ने पाया कि क्षेत्र में कई परिवार ऐसे थे जहाँ घर पर छोटा बच्चा था, बड़े बुजुर्ग थे और उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था। वे बताती हैं कि एक बच्चे की तो माँ की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी और उसकी देखभाल के लिए भी कोई नहीं था। उनके क्षेत्र के कई बड़े-बुजुर्ग, जिन्हें हार्ट, टीबी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ हैं, उन्हें दवा उपलब्ध नहीं थी। जानकारी के अभाव के चलते उन्हें अस्पताल में इलाज भी नहीं मिल रहा था। रेणुका ने क्षेत्र का सर्वे किया और जिस परिवार को जरूरत होती उनके अनुसार वे स्वयं एवं देपालपुर की परियोजना अधिकारी श्रीमती ममता चौधरी के साथ मिलकर उनकी जरूरत पूरी करती। जिन परिवारों में भोजन नहीं था उन्हें अपने घर से ही राशन, दूध आदि उपलब्ध कराया, आवश्यक दवाइयाँ दी एवं लोगों को अस्पताल ले जाकर इलाज भी कराया।
खुद की परवाह किए बिना औरों के लिए इस प्रकार की सेवा भावना आम बात नहीं। पर रेणुका इस मिशन में जुटी हुई है। उनके माता-पिता भाई और उनकी बड़ी बहन भी सदैव इस तरह के सेवा कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करते रहते है।