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सामाजिक सोच में बदलाव के लिए आगे आयें

अनुशासन के साथ कार्य की नई संस्कृति बनाएँ: श्री टंडन
राज्यपाल ने कुलपतियों के साथ की वीडियो कांफ्रेंस


राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने कहा कि कुलपति सामाजिक सोच में बदलाव के लिए आगे आएं। कोरोना की चुनौती से डरना नहीं लड़ना है। उन्होंने कहा कि घर पर रहते हुये विश्वविद्यालयों के छात्र और संकाय ने जो कार्य करके दिखाया है, उसने नया इतिहास बनाया है। श्री टंडन वीडियो कांफ्रेंस में प्रदेश के शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को सम्बोधित कर रहे थे।


राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि संकटकाल का एक दौर गुजर गया है। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का नया अवसर सामने है। इसका लाभ लेने के लिए युवाओं का मार्गदर्शन करें। नये उत्साह के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि विध्वंस के साथ ही नव निर्माण जुड़ा होता है। यही प्रकृति का नियम है। जो दु:खद दिखता है, वही भविष्य के निर्माण की शुरुआत होती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने व्यापक पैमाने पर विशाल आर्थिक पैकेज दिया है। इसमें सभी के लिए आगे बढ़ने, आत्मनिर्भर बनने की सम्भावनाएँ हैं। आवश्यकता अनुकूल अवसरों के चयन और इच्छाशक्ति और प्रवृत्ति के साथ प्रयासों की है।


श्री टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय नई परिस्थितियों में कार्य की नई संस्कृति विकसित करें। सामाजिक दूरी, मॉस्क आदि के अनुशासन का पालन करते हुये, गतिविधियों का संचालन करें। विद्यार्थियों को आत्म निर्भरता के लिए प्रेरित करें। नये वक्त के अनुसार बदलने और बदलाव के संवाहक बनने के कार्य करें। साथ ही आर्थिक गतिविधियों को सुचारु बनाने के लिए प्रयास करें।


राज्यपाल श्री टंडन ने ऑन लाइन चर्चा कर प्रत्येक विश्वविद्यालय के कुलपति के कार्यों की जानकारी ली। जानकारी में बताया गया कि सामान्यत: सभी पाठ्यक्रमों के कोर्स पूर्णता की ओर हैं, जिन विद्यार्थियों के सामने नेटवर्क की समस्या है अथवा जिनके कोर्स पूरे नहीं हो पाए हैं। उनके लिए विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने इन्टरएक्टिव कक्षाएँ, अध्यययन सामग्री की ऑन लाइन उपलब्धता, ऑन लाइन सेमीनार, शोध कार्यों आदि की जानकारी दी। ए.पी.एस. विश्वविद्यालय रीवा के कुलपति ने बताया कि शोध एवं एम फिल के वायवा वोसी की ऑन लाइन व्यवस्था पर चिंतन हो रहा है। देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय इंदौर द्वारा कोरोना के मृतकों की संतानों की फीस माफ करने की बात कही। जीवाजी विश्वविद्यालय ने टॉस्क फोर्स बनाकर कार्य करने और तीन नये स्टार्टअप शुरु करने की जानकारी दी। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने बताया कि ऑन लाइन सेमीनार में आर्मी चीफ भी शामिल हुए। महर्षि पणनि विश्वविद्यालय द्वारा महान विभूतियों के जीवन पर ग्रंथ निर्माण कार्य किया जा रहा है। भोजमुक्त विश्वविद्यालय द्वारा दूरदर्शन के माध्यम से संचालित कक्षाओं की 80 हजार टीआरपी होने की जानकारी दी।


इसी तरह ग्रामोदय विश्वविद्यालय द्वारा ई-ऑफिस संचालन व्यवस्था की जानकारी दी। आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा सभी मेडिकल कॉलेजों में ऑन लाइन शिक्षण की स्थाई व्यवस्था की जाएगी। कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर द्वारा बताया गया कि 22 कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा प्रति सप्ताह 13 लाख किसानों को 32 लाख कृषि संबंधी जानकारियाँ प्रेषित की जाती है। कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा बताया गया कि दक्षिण भारतीय राज्यों की कुछ छात्राएँ और 6 विदेशी छात्र लॉक डाऊन में है। उनके आवास, भोजन की व्यवस्थाएँ की गई है। सभी छात्र-छात्राओं से कुलपति मोबाईल द्वारा सम्पर्क में है। उन्होंने सेनिटाइजेशन संबंधी अल्ट्रा वायलेट सोर्स के अविष्कार और पेटेंट प्राप्त करने की कार्रवाई के बारे में बताया।


परीक्षा प्रबंधन समिति की संयोजक कुलपति श्रीमती संगीता शुक्ला ने बताया कि स्नातक स्तर की कक्षाओं की 50 प्रतिशत परीक्षाएँ हो चुकी हैं। शेष परीक्षाओं के लिए एक माह की अवधि का कार्यक्रम प्रस्तावित किया गया है। प्रायोगिक परीक्षाएँ, आंतरिक परीक्षक से कराया जाना प्रस्तावित है। ऐसा करने से परीक्षा कार्यक्रम के करीब 30 दिवस की बचत होगी। उन्होंने कहा कि जिनकी कक्षाएँ होना शेष है, उनके लिए पृथक परीक्षा तिथियाँ निर्धारित किया जाना प्रस्तावित है।


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