कोविड-19 के आकस्मिक हमले से प्रदेश के उस तबके के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया था, जो रोज कमाता और खाता है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में 23 मार्च 2020 को नई सरकार के गठन के साथ ही सरकार ने कोरोना से मुक्ति और जरूरतमंद हाथों को काम देने के प्रयास तेजी से प्रारंभ किए।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (म.प्र.) रोजगार संकट के इस दौर में वरदान सिद्ध हुई है। प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 20 अप्रैल से कोरोना संक्रमित क्षेत्रों को छोड़कर शेष ग्राम पंचायतों में मनरेगा की रोजगार मूलक गतिविधियाँ की गई, जिनमें अब 22 हजार 70 ग्राम पंचायतों में एक लाख 25 हजार 61 कार्य शुरू हो गये हैं। इनमें 11 लाख 25 हजार 893 श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार मिलने लगा है और यह क्रम लगातार जारी है।
23 हजार महिलाएँ कर रही हैं मास्क निर्माण का कार्य
प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में होम मेड मास्क निर्माण की प्रक्रिया से महिलाओं को घर बैठे रोजगार प्राप्त हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने में म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिशन की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को होम-मेड मास्क, सेनेटाइजर, पी.पी.टी. किट, हैंड सोप बनाने जैसी गतिविधियों से जोड़ने का अभिनव प्रयोग मध्यप्रदेश में किया गया। प्रदेश में लगभग 5 हजार स्व-सहायता समूहों के 13 हजार महिला सदस्यों द्वारा 7 लाख से अधिक मास्क, 58 हजार लीटर से अधिक सेनेटाइजर, 9 हजार लीटर हैंड वॉश और लगभग डेढ लाख साबून का उत्पादन किया गया है। इसी प्रकार, शहरी क्षेत्रों में 'जीवन-शक्ति'' योजना के माध्यम से शहरी महिलाओं को भी मास्क निर्माण के कार्य से जोड़ा गया है। योजना के अंतर्गत 10 हजार से अधिक महिलाओं ने ऑनलाइन पंजीयन कर उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया है। इन उत्पादों को राज्य सरकार द्वारा मार्केट में उपलब्ध कराया गया है। कोरोना के खिलाफ जंग में लगे पुलिस के जवानों, मेडिकल स्टाफ सहित मनरेगा के श्रमिकों को इन समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री प्रदान की जा रही है, इतना ही नहीं, प्रदेश में 15 अप्रैल से शुरू हुए गेहूँ उपार्जन कार्य में नया प्रयोग करते हुए 5 जिलों में महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़ा गया है। जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिल सके हैं।
राज्य में शुरू किए इन संगठित प्रयासों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में आमजन को होम डिलीवरी से जरूरी सामान की आपूर्ति जैसी सुविधाओं से भी जरूरतमन्दों को काम मिल सका है। पिछले 15 अप्रैल से प्रदेश में प्रारंभ किया गया गेहूँ का उपार्जन भी रोजगार का बड़ा जरिया बना है। इसमें डेढ़ से दो लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार गतिविधियों से जोड़ा जा सका है। प्रदेश में आर्थिक गतिविधियाँ प्रारंभ कर शीघ्रता से रोजगार मुहैया कराने का निर्णय भी राज्य सरकार द्वारा लिया जा चुका है। वन क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्रहण और निर्माण गतिविधियाँ भी शीघ्र प्रारंभ की जा रही हैं।
मध्यप्रदेश सरकार इन प्रयासों से जरूरतमंदों के दिल में यह विश्वास जगाने में सफल हो रही है कि गम्भीर संक्रमण काल में भी वह आम आदमी के साथ मजबूती से खड़ी है।