कोविड-19 के कारण पूरे प्रदेश का जन-जीवन प्रभावित हुआ लेकिन अगर कोई एक बात प्रभावित नहीं हुई, तो वो थी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महिलाओं के प्रति संवेदनशील मानसिकता। महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में उनकी जिद।------
शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री के तौर पर पिछले तेरह सालों को याद करेंगे, तो महिला सशक्तिकरण के जितने कारगर और प्रभावी कदम उन्होंने उठाए, उतने उनके पहले के पाँच दशकों में शायद ही किसी और मुख्यमंत्री ने उठाए हों। शिवराज ने नवम्बर, 2005 में पहली बार प्रदेश की सत्ता को संभाला था। इस बार भी जब वे मुख्यमंत्री बने, तो लॉकडाउन के कारण शहरों और कस्बों में घरों में काम करके अपने परिवार की जीविका चलाने में सहयोग करने वाली महिलाओं के सामने रोजगार का एक नया संकट खड़ा हो गया था। घरों में साफ-सफाई या खाना बनाने वाली महिलाओं के काम छूट गए थे। ऐसे में शिवराज द्वारा घोषित 'जीवन शक्ति योजना'' वाकई में कमजोर वर्गों की महिलाओं के लिए जीवन शक्ति बन गई।
महिला सशक्तिकरण को लेकर उनकी सोच पर शायद ही कोई सवाल उठा सकता हो। कोरोना के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए जरूरतमंद महिलाओं को घर बैठे सम्मानपूर्वक पैसा कमाने का अवसर देने की उनकी सोच वाकई तारीफ के काबिल है। निश्चित तौर पर कोरोना वायरस का अंत जैसे और जब हो, लेकिन यह तय है कि चेहरे पर मास्क अब हमारी जीवन-शैली का एक लंबे समय के लिए अभिन्न अंग बनने वाला है। मध्यप्रदेश की आबादी आज करीब साढ़े सात करोड़ है और इस आबादी में बड़ी संख्या जाहिर है गरीब तबके की भी है। जीवन सुरक्षा के लिए मास्क तो अब सभी की जरूरत है। शिवराज सरकार ने 'जीवन शक्ति योजना'' से 'एक पंथ-दो काज' वाला काम कर दिखाया। कमजोर वर्ग की महिलाओं को आर्थिक सहायता भी और कमजोर तबके के लिए सस्ते मास्क भी। जीवन शक्ति योजना प्रदेश के शहरी क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लागू की गई है। इस योजना से जुड़ने के लिए शहरी महिलाओं को योजना के पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीयन करना होगा। स्थानीय प्रशासन द्वारा पोर्टल पर पंजीकृत महिलाओं को मास्क बनाने का आर्डर ऑनलाइन दिया जाएगा। महिलाएँ जब मास्क बनाकर स्थानीय प्रशासन को सौंपेंगी, तब उसका भुगतान महिलाओं के बैंक खातों में उसी दिन ऑनलाइन कर दिया जाएगा। अब तक करीब दस हजार महिलाओं ने न सिर्फ ऑनलाइन पंजीयन करा लिया बल्कि 20 लाख मास्क बहुत जल्दी बनकर आ भी जाएंगे। करीब दस हजार महिलाओं में से हरेक को दो सौ मास्क बनाने का काम सौंपा गया है।
इस योजना के तहत जो महिलाएँ मास्क बनाएंगी और उन्हें सरकारी व्यवस्था के अनुसार तय जगह पर जमा करेंगी, तो उन्हें हर मास्क के लिए 11 रुपये का भुगतान किया जाएगा। यानि एक महिला को घर बैठे कम से कम बाईस सौ रुपये कमाने का मौका। महिलाओं को घर में मास्क बनाने के काम से जोड़ने, घर बैठे उनके लिए काम मुहैया कराना भी है। राज्य के लोगों को यह मास्क सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगे। मुख्यमंत्री का कहना है कि 'मास्क बनाने से न केवल महिलाओं को फायदा होगा बल्कि वो एक पुण्य कार्य में भागीदारी करेंगी।' इस योजना में पहले शहरी क्षेत्रों की महिलाओं को मौका मिलेगा।
सरकार की इस योजना को महिलाओं ने हाथों-हाथ स्वीकार किया। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेश में महिला स्व-सहायता समूह की महिला सदस्यों ने बढ़ी संख्या में मास्क तैयार कर दिए हैं। यह मास्क स्वास्थ्य विभाग, मेडिकल स्टोर और ग्राम पंचायतों में उपलब्ध कराए गए हैं। कुछ महिलाएँ पीपीई किट्स (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट) भी तैयार कर रही हैं।
प्रदेश में जीवन शक्ति योजना का शुभारंभ होते ही उज्जैन की महिला श्रीमती गरिमा महावत ने योजना से जुड़ने का निश्चय किया। उन्होंने महिला स्व-सहायता समूह बनाकर उसने बड़ी संख्या में शहरी महिलाओं को जोड़ा है। गरिमा इस योजना के माध्यम से कोरोना के विरुद्ध युद्ध में तैनात योद्धाओं के लिये बड़े पैमाने पर मास्क बनाने के लिये संकल्पित हो गई है। श्रीमती गरिमा महावत ने जीवन शक्ति योजना को प्रदेश की महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने की योजना बताया है। गरिमा मानती हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना के माध्यम से शहरी महिला शक्ति को सम्मानित किया है तथा आत्म-निर्भर बनाने की पहल की है।
महिला सशक्तिकरण के लिए शिवराज सिंह चौहान की प्रतिबद्धता मुख्यमंत्री बनने के साथ ही सामने आ गई थी। बेटियों को बचाने, उन्हें आगे बढ़ाने और उनके सम्मान के लिए शिवराज ने योजनाओं का एक लंबा सिलसिला शुरू किया। उनकी राजनीतिक सफलताओं में महिलाओं का इसलिए ही बड़ा योगदान रहा है। इन योजनाओं के जरिए ही शायद शिवराज महिलाओं से चहेते भाई और बच्चों के मामा जैसा व्यक्तिगत रिश्ता जोड़ने में कामयाब हो गए। शिवराज ने पिछले कार्यकाल में महिलाओं के लिए अपनी योजनाओं को एक तरह से उनके सशक्तिकरण के एक आंदोलन में ही बदल दिया था। लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना शुरू कर प्रदेश में करीब 35 लाख 35 हजार 28 लाड़ली लक्ष्मी बनाई गईं, जो अब शायद इस योजना के लाभ लेने वाली उम्र के दौर में आ गई होंगी। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना ने समाज के गरीब तबकों में शादी जैसे महँगे आयोजन को आसान बना दिया। इसमें शादी के खर्च से लेकर जरूरी दहेज तक के इंतजाम सरकार ने अपने सर लिए। जननी सुरक्षा योजना से लेकर गाँव की बेटी योजना और स्थानीय निकायों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने जैसे महिला सशक्तिकरण के कई उल्लेखनीय काम शिवराज के खाते में दर्ज हैं। महिला सशक्तिकरण में समाज की भागीदारी को शामिल करते हुए उन्होंने बेटी बचाओ जैसा आंदोलन खड़ा किया। शिवराज का मानना है कि केवल बेटों से ही वंश का नाम नहीं चलता है, बेटियों से भी वंश का नाम रोशन होता है।