हमारा देश कृषि प्रधान देश है। यहॉ प्राचीन काल से धरती को माता और अनाजों को देव स्वरूप माना गया है। अनाज का दान और भूखे को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। आज भी अधिकतर किसान अपने पूर्वजों की अन्न दान की परंपरा को बनाए हुए हैं। किसान फसल आने पर उसका कुछ भाग गरीबों तथा धार्मिक कार्यों के लिए दान करते हैं। समर्थन मूल्य पर अपने गेहूं की बिक्री करने आये किसानों द्वारा खरीदी केंद्रों में गेहूं का स्वेच्छा से दान दिया जा रहा है। अब तक 42 खरीदी केंद्रों में 953 किसानों ने 96 क्विंटल 41 किलो गेहूं और 50 किलो चावल का दान दिया है।
गेहूं खरीदी केंद्रों में दान में किसानों से प्राप्त गेहूं के भंडारण की व्यवस्था की गई है। इस गेहूं को ग्राम पंचायतों को प्रदान किया जा रहा है। पंचायत अपने क्षेत्र के गरीब निराश्रित, दिव्यांग, वृद्ध तथा जरुरतमंद व्यक्तियों को इस अन्नदान के भण्डार से निःशुल्क अन्न उपलब्ध कराया जा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण उत्पन्न कठिन परिस्थितियों में गांवों में यदि किसी व्यक्ति पर आजीविका का संकट है, तो उसे भी इस अन्न कोष से निःशुल्क अनाज दिया जा रहा है। सभी खरीदी केंद्रों में किसान स्वेच्छा से बढ़-चढ़कर गेहूं का दान कर रहे हैं। किसानों के अन्न दान से निर्मित अन्न कोष गरीबों, निराश्रितों के भोजन का बहुत बड़ा सहारा बना है।