आम धारणा यह है कि क्वारेंटाइन सेन्टर एक जेल जैसी जगह होती है, जहाँ चन्द लोगों को एक तरह-से बन्द कर दिया जाता है। सेंटर में व्यक्ति को छोटी-सी जगह में अस्वच्छ स्थितियों में घुटन भरे वातावरण में रहना पड़ता है। दमोह जिले से आई अच्छी खबर से जाहिर होता है कि क्वारेंटाइन सेंटर में न केवल अच्छे वातावरण में रहने का अवसर मिलता है अपितु रहवासी आत्मशक्ति प्राप्त करने की ओर भी अग्रसर हो होते हैं।
दमोह के क्वारेंटाइन सेन्टर में प्रतिदिन योग-व्यायाम और जीने की कला सिखाई जाती है। यही नहीं, सेन्टर में भर्ती लोगों को परिवार और समाज का मार्ग-दर्शन करने के लिये भी तैयार किया जाता है। सेंटर में अच्छे स्वास्थ्य के लिये सुपाच्य भोजन दिया जाता है। साथ ही सूर्य की किरणों के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के तरीके भी सिखाये जाते हैं। यहां के बाशिंदों को कक्ष आवंटित किया जाता है, जहाँ सभी आवश्यक सुविधाएँ मुहैया कराई जाती हैं। चाय-नाश्ता और दोनों समय सात्विक भोजन दिया जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये आयुर्वेदिक काढ़ा भी आयुष विभाग द्वारा तैयार कर प्रदाय किया जाता है। दमोह क्वारेंटाइन में रहने वाले शारिरिक रूप से ही नहीं वरन् मानसिक रूप से भी विकारमुक्त और शुद्ध होकर 14 दिन बाद अपने घर जाते हैं। क्वारेंटाइन सेन्टर में छोटे बच्चों को खिलौने भी मुहैया कराये गये हैं। क्वारेंटाइन में भर्ती युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकों का अध्ययन करते भी देखा जा सकता है। हर सुबह योग-व्यायाम के बाद जीवन जीने की कला से संबंधित टिप्स तथा परेशानियों में भी खुश रहने की कला भी सिखायी जाती है।
हर संभव प्रयास इस बात का होता है कि सेंटर से निकलने पर स्वस्थ हुए मरीज न केवल अपना ख्याल रख सकें वरन् दूसरों को भी बेहतर जीवन-शैली अपनाने के लिये प्रेरित कर सकें।