साइलो पद्धति से होगा 11 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का भंडारण
मध्यप्रदेश समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूँ का वैज्ञानिक तरीके से भंडारण करने में देश का अग्रणी राज्य बन गया है। प्रदेश की 289 सहकारी समितियों के 1 लाख 81 हजार से अधिक किसानों से उपार्जित 11 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का भंडारण 25 साईलो बैग और स्टील साइलो में किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्री शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि साइल बैग ओर स्टील साईलो खाद्यान्न भंडारण की आधुनिकतम तकनीकी है। इस तकनीकी में खाद्यान्न को सुरक्षित रखने के लिए कीटनाशक औषधियों के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती। इसमें गेहूँ बिना कीटनाशक के उपयोग के भी लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है । उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कार्पोरेशन द्वारा सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ 9 स्थानों भोपाल , सीहोर , विदिशा , होशंगाबाद, नागौद , सतना हरदा, उज्जैन और देवास में 50- 50 हजार मीट्रिक टन क्षमता वाले स्टील साइलो केन्द्र स्थापित किए गए हैं । इनकी कुल भंडारण क्षमता साढ़े चार लाख मीट्रिक टन है। इसी प्रकार 16 स्थानों नागदा , सलमानीया बड़ौदा, पिछोर, बैरसिया श्यामपुर गमाखर, गोहरगंज, शुक्रवारा, बरपटी, हटा, बरछा, मझौली, सारंगपुर, तथा वेदगबा में साइलो बैग भंडारण केन्द्रों की कुल भंडारण क्षमता 6 लाख 30 हजार मीट्रिक टन है ।
सोशल डिस्टेंसिंग की आदर्श व्यवस्था है साइलो बेग------
प्रमुख सचिव श्री शुक्ला ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था को बनाए रखने में साइलो बैग पद्धति, भंडारण की आदर्श व्यवस्था सिद्ध हो रही है। इस व्यवस्था में भंडारण का काम न्यूनतम मानव श्रम से संभव हो सका है। इसमें किसान जब एक ट्रैक्टर ट्रॉली या एक ट्रक में खाद्यान्न लेकर अकेला केन्द्र पर पहुंचता है, तो धर्म-काँटे पर तौल करने के बाद हाइड्रोलिक सिस्टम के द्वारा एक ही बार में उसका पूरा गेहूं भंडारण के लिए खाली करा लिया जाता है। इस तरह किसान अधिकतम 15 से 20 मिनट के अंदर अपना गेहूँ बेच कर फ्री हो जाते हैं। इस कारण इन केन्द्र पर भीड़-भाड़ होने या अधिक मात्रा में लोगों के इकट्ठा होने की संभावना नगण्य रहती है। सुरक्षा की दृष्टि से सभी केन्द्रों पर हैंड वॉश सेनिटाइजर और मास्क की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।