कभी बाघ शून्य हो चुका पन्ना टाईगर रिजर्व इस वर्ष अपनी विश्व में मिसाल बन चुकी सफलता का दशक वर्ष मना रहा है। लॉकडाउन के चलते पन्ना टाईगर रिजर्व में आज 16 अप्रैल को होने वाला मुख्य समारोह स्थगित कर दिया गया है। समारोह में देश और विदेश के वन्यप्राणी विशेषज्ञ बाघ पुन: स्थापना में सहयोग देने वाले स्थानी नागरिक और जनप्रतिनिधि भाग लेने वाले थे ।
पन्ना टाईगर रिजर्व के लिये 16 अप्रैल 2010 ऐतिहासि दिन है जब कान्हा टाईगर रिजर्व से लाई गई बाघिन टी-2 ने पहली बार शावकों को जन्म देकर रिजर्व में पुन: बाघों की आबादी का सुखद आगाज किया था। यह बहुत बड़ी सफलता थी, जिसकी दुनियाभर के वन्यप्राणी विशेषज्ञों ने मूरि-मूरि प्रशंसा की थी। तभी से पन्ना को बाघ पुन: स्थापना में विश्वगुरू का दर्जा मिला आज रिजर्व में छोटे-बड़े 50 से अधिक बाघ-बाघिन है।
सदस्य राज्य जैव विविद्यता बोर्ड और तत्कालीन क्षेत्र संचालक श्री श्रीनिवास मूर्ति ने इस असंभव कार्य को संभव बनाने वाले टाईगर रिजर्व के अधिकारियों-कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को इस ऐतिहासिक दिन की बधाई दी है।