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कोरोना संक्रमण की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए आयुर्वेदिक औषधियों की आपूर्ति

भारत शासन के आयुष मंत्रालय ने देश में व्याप्त वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए समस्त राज्यों को एडवाइजरी जारी कर कोरोना संक्रमण की रोकथाम के प्रभावी उपाय किये जाने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुष की समस्त पैथियों में रोग प्रतिरोधकता क्षमता बढ़ाने के प्रभावी एवं प्रमाणित उपाय हैं, जिनका उपयोग दैनिक जीवन में करने से संक्रमण से बचाव संभव है।


आयुर्वेदिक उपचार पद्धति में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए संशमनी वटी जिसमें गिलोय होती है, त्रिकटु चूर्ण/काढ़ा, जिसमें सौंठ, पीपली एवं काली मिर्च का उपयोग किया जाता है। अणु तेल बहुत ही असरकारक एवं संक्रमण की रोकथाम में सहायक है, इसके निर्माण में तिल तेल, नागरमोथा, वायविडंग, कंटकारी, इलायची, खस, मुलैठी, दारूहल्दी, तेजपत्र, देवदारू, दालचीनी, मुलैठी, शतावर, जीवन्ती इत्यादि का उपयोग किया जाता है।


सामान्यत: संशमनी वटी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, ज्वर व सर्दी जुकाम में उपयोगी है। त्रिकटु चूर्ण खांसी, सर्दी-जुकाम व अन्य रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। अणु तेल साइनस, नाक बहना, एलर्जी व नाक एवं गले शुष्कता (ड्रायनेस) की रोकथाम में उपयोगी होता है। उल्लेखित औषधियों को निश्चित मात्रा में चिकित्सक के परामर्श अनुसार सुरक्षात्मक उपाय के रूप में वर्तमान कोरोना संक्रमण में सेवन करना लाभदायक है।


आयुष विभाग, म.प्र. शासन द्वारा संशमनी वटी, त्रिकटु चूर्ण एवं अणु तेल की आपूर्ति के लिए मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ की इकाई लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केन्द्र (एमएफपी-पार्क) बरखेड़ा पठानी, भोपाल को आपूर्ति आदेश प्रदान किए गए।


 


 
 


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