जबलपुर सहित पूरे प्रदेश के लिये अच्छी खबर है। जबलपुर में 20 मार्च को कोरोना पॉजिटिव पाये गये चार मरीजों में से तीन मरीज को आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज कर दिया गया है। इन तीनों के घर पहुंचने के पहले ही इनके घरों को सेनेटाइज कराया गया और इन्हें होम क्वारेंटाइन में रखा गया है। जिला प्रशासन ने यहां अब तक कोरोना पॉजिटिव मिले सभी आठ प्रभावितों के रहवास क्षेत्र को पहले से ही कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर रखा है।
मध्यप्रदेश में सबसे पहले जबलपुर शहर में ही कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए थे । इनमें दुबई से जबलपुर पहुंचे मुकेश अग्रवाल, उनकी पत्नी और बेटी की जिला प्रशासन द्वारा 20 मार्च को कोरोना का टेस्ट कराया गया। इसमें परिवार के तीनों सदस्य पॉजिटिव पाए गए और इन सभी को मेडिकल कालेज अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था। आइसोलेशन पीरियड पूरा होने के बाद अग्रवाल परिवार के तीनों सदस्य के कराए गए टेस्ट में जहां अग्रवाल दंपत्ति की रिपोर्ट निगेटिव मिली, वहीं उनकी बेटी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसलिए अग्रवाल दंपत्ति को डिस्चार्ज कर दिया गया जबकि बेटी अभी भी मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में इलाजरत है। इसी प्रकार स्विटजरलैण्ड से जबलपुर आए उपनिषद शर्मा को भी मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था। उनकी रिपोर्ट भी निगेटिव आई इसलिए आज उपनिषद को भी डिस्चार्ज कर दिया गया। युवक उपनिषद शर्मा स्विट्जरलैंड से लौटा था। उसने खुद जागरूकता दिखाते हुए लक्षण दिखने पर सेठ गोविंददास जिला चिकित्सालय विक्टोरिया अस्पताल पहुँचकर अपना टेस्ट कराया था। टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव आने पर उसे पन्द्रह दिनों के लिये उपचार हेतु मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड भेज दिया गया। आइसोलेशन की अवधि पूरी होने पर कराये गये टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव मिलने पर उपनिषद को डिस्चार्ज कर दिया गया।
कोरोना से डरने की जरूरत नहीं
उपनिषद ने मेडिकल कॉलेज से छुट्टी होने पर कहा कि लोगों को कोरोना के वायरस से डरने की जरूरत नहीं है । जागरूक और सतर्क रहकर इससे बचा जा सकता है । उपनिषद ने कहा कि लोग जागरूक रहेंगे और शासन- प्रशासन के नियम-निर्देशों का सख्ती से पालन करेंगे, तो कोरोना को भारत से जाना ही होगा ।
उपनिषद ने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर वो घबराया नहीं। उन्हें विश्वास था कि वो इस बीमारी से जीत के ही रहेगा। उसने नकारात्मकता को भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उसे डॉक्टरों का और नर्सिंग स्टॉफ का भी भरपूर सहयोग मिला। ईलाज के दौरान डॉक्टरों और नर्सिंग स्टॉफ के व्यवहार ने इस जंग को जीतने में उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम किया।
उपनिषद ने कहा कि भारत मे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने जिस तेजी से कदम उठाये गये, इसके ठीक विपरीत स्विट्ज़रलैंड में उतनी सक्रियता नहीं दिखाई जा रही थी। इस वजह से उसके स्वास्थ को लेकर परिवारजन चिंतित थे। यही वजह थी कि उसे पढ़ाई छोड़कर वापस आना पड़ा। उपनिषद ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के प्रयासों और लोगों को जागरूक बनाने में शासन-प्रशासन का सहयोग करने की इच्छा भी व्यक्त की है ।
प्रदेश में सबसे पहले कोरोना के चार पॉजिटिव केस 20 मार्च को जबलपुर में पाये गये थे। इनमें से तीन को डिस्चार्ज कर दिया गया है। यहाँ अभी तक कोरोना वायरस के कुल आठ पॉजिटिव मामले सामने आये हैं । इनमें से तीन एक ही परिवार के तथा चार इनके सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति शामिल हैं । उपनिषद शर्मा इनसे अलग थे । शेष सभी संक्रमितों के स्वास्थ में भी सुधार हो रहा है ।
ज्ञातव्य है कि प्रशासन द्वारा बरती गई सख्ती और वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने अपनाई गई एडवांस कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की रणनीति तथा नागरिकों से मिल रहे भरपूर सहयोग का ही नतीजा है कि यहाँ कोरोना पॉजिटिव की संख्या नहीं बढ़ पा रही है, हालाँकि ग्रामीण और जिले के अन्य निकायों में बाहर से बड़ी संख्या में वापस आ रहे लोगों को देखते हुए इसका खतरा अभी टला नहीं है । कोरोना पॉजिटिव मरीजों का उपचार कर रहे डॉक्टरों का भी मानना है कि कलेक्टर श्री भरत यादव की अगुआई में जिला प्रशासन द्वारा लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का कड़ाई से पालन कराये जाने के फलस्वरूप इस महामारी से जबलपुर में नये केस नहीं आ रहे हैं ।