सर्व शिक्षा अभियान के ज़िला परियोजना समन्वयक भोपाल श्री प्रभाकर श्रीवास्तव ने मोबाइल से जब अंकित से बात की तो वह अपने मामा के गाँव उडदमहू में था। श्री प्रभाकर ने पूछा अंकित। पढाई कैसी चल रही है? जवाब आया ‘‘सर ये रेडियो और डिजीलेप वाट्सएप ग्रुप ही अब मेरा स्कूल बन गए हैं। इन्हीं से शैक्षिक कार्यक्रम सुनता हूँ और पढ़ता हूँ। हॉस्टल से आते समय मुझे ये पोर्टेबल वीडियो मैग्नीफायर घर लाने दिया था, उसी से डिजीलेप के वीडियो देख लेता हूँ और आकाशवाणी पर रेडियो स्कूल कार्यक्रम सुनता हूँ। रेडियो और डिजीलेप कार्यक्रम बहुत उपयोगी हैं। मेरे जैसे बच्चों को इनसे पढ़ाई करने में बहुत मदद मिल रही है। नही तो कौन मुझे यहाँ मामा के गांव में पढ़ाता। हॉस्टल तो बंद है ना अपना।’’ राजधानी भोपाल के आनंद नगर का निवासी अंकित राय अल्प दृष्टि-बाधित 8वीं का छात्र है, जो सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत बिसनखेडी में संचालित दिव्यांग छात्रावास में रहता है।
दिव्यांग छात्र अंकित की ये बातें उसकी विवशता के साथ ही उसके उत्साह को भी दर्शाता है। अंकित एक निर्धन परिवार का बालक है, जो अल्प दृष्टि-बाधित है। कक्षा 5 से बिसनखेडी के दिव्यांग हॉस्टल में ही रह रहा है। हॉस्टल में उसके अध्ययन के लिये टेप रिकार्डर, लेंस, टेबल मैग्नीफायर और पोर्टेबल वीडियो मैग्नीफायर जैसे संसाधन उपलब्ध हैं। लॉकडाउन के कारण हॉस्टल बंद हुए, तो अंकित और उसका परिवार उसके मामा के गांव जा रहे थे। उसकी पढ़ाई पूरी तरह से बंद ना हो जाए, यही सोचकर उसे लेंस और पोर्टेबल वीडियो मैग्नीफायर घर पर भी उपयोग के लिये दे दिये थे। रेडियो स्कूल और डिजीलेप जैसे कार्यक्रमों ने अंकित को पढ़ाई का नया रास्ता दिखा दिया है।