प्रदेश में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्योद्योग विभाग द्वारा अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम से मत्स्योद्योग विभाग द्वारा मछली पालन से जुड़े लोगों को तकनीकी जानकारी एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
मत्स्योद्योग विभाग द्वारा शिक्षण प्रशिक्षण योजना के तहत मत्स्य पालन का सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाता है। इस योजना में पॉच दिवसीय प्रशिक्षण तथा दो दिवसीय अध्ययन भ्रमण कराया जाता है। जिसमें सभी श्रेणी के मछुआरों को मछली पालन की तकनीक, मछली पकड़ने, जाल बुनने, सुधारने तथा नाव चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। जनपद तथा जिला पंचायत की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा चयनित मछुआरों को जिले में स्थित विभागीय मत्स्यबीज प्रक्षेत्र तथा सह जलाशय पर सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को प्रशिक्षण केन्द्र तक आने जाने का वास्तविक किराया तथा 150 रूपये प्रतिदिन प्रशिक्षण वृत्ति मय क्षतिपूर्ति भत्ते के रूप में प्रदान की जाती है।
इसी प्रकार मछुआ सहकारिता योजना में मत्स्योद्योग विभाग द्वारा सभी वर्ग की पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों को मछली पालन हेतु उपकरण एवं अन्य प्रयोजन जैसे तालाब की पट्टा राशि, मत्सय बीज क्रय, नाव जाल क्रय करने के लिए एक लाख 50 हजार रूपये का अनुदान पात्रता के अनुसार दिया जाता है। इसी प्रकार मत्स्य पालन प्रसार योजना में राज्य में सभी वर्ग के मत्स्य पालकों को लम्बी अवधि तक तालाब पट्टे पर लेकर मत्स्य पालन करने पर 15 हजार रूपये तक अनुदान सहायता दी जाती है।
मत्स्योद्योग विभाग द्वारा मछली पालन से जुड़े लोगों के लिए मछुआ क्रेडिट कार्ड योजना संचालित की जा रही है। मछुआ क्रेडिट कार्ड योजना में मछुआरों को मत्स्य पालन एवं मत्स्यखेट के लिए आवश्यक इनपुट्स नाव, जाल क्रय करने के लिए क्रियाशील पूंजी, सहकारी बैंकों के माध्यम से किसान क्रेडिट के अनुरूप मत्स्य कृषकों को अल्पावधि ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है। जिसमें ग्रामीण तालाबों में मत्स्य पालन हेतु 18 हजार 300 रूपये प्रति हैक्टर 18 माह के लिए, सिंचाई तालाबों में मत्स्य पालन के लिए दो हजार रूपये प्रति हैक्टर 18 माह के लिए तथा मौसमी तालाबों में स्पॉन संवर्धन के लिए 23 हजार रूपये प्रति 0.25 हैक्टर 6 माह के लिए उपलब्ध कराया जाता है।
इसी प्रकार मत्स्य आहार प्रबंधन योजना मे ग्रामीण तालाबों की मत्स्य उत्पादकता 2500 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर वृद्धि के लिए फार्मुलेटेड फ्लोटिंग या नॉन फ्लोटिंग फीड परिपूरक मत्स्य आहार के उपयोग एवं महत्व से अवगत कराए जाता है। इस योजना में इकाई लागत का 10 प्रतिशत अर्थात पॉच हजार रूपये प्रति हैक्टर की दर से हितग्राहियों द्वारा बैंक ड्राफ्ट के रूप में एमपी एग्रो में जमा किया जाता है। हितग्राहियों को वित्तीय सहायता के रूप में इकाई लागत का 90 प्रतिशत अर्थात 45 हजार रूपये प्रति हैक्टर की दर से अनुदान दिया जाता है।