मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ शुक्रवार को राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने राजभवन पहुंचे.
उन्होंने राज्यपाल को एक पत्र सौंपा और भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया. यही नहीं सूबे मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से यह भी कहा कि वे आगामी सत्र में बहुमत परीक्षण के लिए तैयार हैं. आपको बता दें कि राज्यपाल अपने गृहनगर लखनऊ में होली का त्योहार मनाने के बाद गुरुवार को भोपाल लौटे.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने के बाद पत्रकारों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायकों को बंदी बनाकर रखा गया हैं और उन्हें वापस लाया जाना चाहिए.
इधर, विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सभी विधायकों को शुक्रवार को उनके सामने पेश होने को कहा है. प्रजापति ने कहा है कि सभी विधायकों को आना होगा और यह बताना होगा कि इस्तीफा उन्होंने खुद दिया है और फैसला बिना किसी के दबाव में आये लिया गया है. आगे विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायकों के दबाव में इस्तीफा नहीं देने की पुष्टि करना स्पीकर की जिम्मेदारी है. सारी प्रक्रिया नियमों के तहत होनी चाहिए.
भाजपा 16 मार्च को करेगी कांग्रेस सरकार के शक्ति परीक्षण की मांग
कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार के संकट में आ जाने के मद्देनजर प्रदेश भाजपा 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के पहले ही दिन वर्तमान सरकार का शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेगी. वहीं कांग्रेस इस शक्ति परीक्षण के लिए ज्यादा से ज्यादा समय लेने के लिए तमाम तरीके अपनाने की जुगत लगाएगी.
पहले मप्र की राजनीति के कोरोना वायरस को हटाना होगा:कमलनाथ
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस तो यहां राजनीति में है, पहले इसे हटाना होगा बाद में कोरोना वायरस को देखा जाएगा. राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात के बाद राजभवन के बाहर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कोरोना वायरस के चलते राज्य विधानसभा का बजट सत्र टलने के सवाल पर पत्रकारों से कहा कि कोरोना वायरस तो यहां राजनीति में है, पहले इसे हटाना होगा बाद में कोरोना वायरस को देखा जाएगा.
क्या है वर्तमान स्थिति
मध्यप्रदेश विधासभा के 228 विधायकों में से कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने त्यागपत्र राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिये हैं. कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र यदि मंजूर हो जाते हैं तो विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या घटकर 206 हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 104 हो जाएगा. कांग्रेस के पास अपने 92 विधायक बचेंगे, जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 107 है. मालूम हो कि मध्यप्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं, इनमें से वर्तमान में दो खाली हैं. इनमें से कांग्रेस के विधायकों की संख्या 114 एवं भाजपा के 107 हैं, जबकि कांग्रेस को समर्थन दे रही बसपा के दो विधायक, सपा का एक एवं चार निर्दलीय विधायक हैं.