कलेक्टर श्री तरूण पिथोड़े ने नागरिकों से अपील की है कि इस बार होलिका दहन में लकड़ी का उपयोग नहीं करते हुए अधिकाधिक गौकाष्ठ का उपयोग करें।
जिले की शासन से अनुदान प्राप्त गौशालाएं गौकाष्ठ का निर्माण कर शवदाह गृहों एवं लकड़ी के टालों पर इसका विक्रय कर रोजगार का जरिया बनाया जा सकता है। इसी प्रकार सेन्ट्रल जेल भोपाल के कैदियों को भी गौकाष्ठ निर्माण कराकर रोजगार से जोड़ा गया है। इसके लिए गोकाष्ठ निर्माण की मशीन जेल परिसर में स्थापित की गई है।
पर्यावरण संरक्षण प्रदेश के लिए स्थाई जरूरतों में से एक है। पर्यावरण के संरक्षण, बचाव और हरा भरा शीतल प्रदेश हो इसके लिए शासन प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है। पेड़ों को कटने से बचाने के लिए गौकाष्ठ आधारित लकड़ी, कंडे और अन्य संसाधन आज पर्यावरण को सामान्य स्थिति में लाने के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं।
गौकाष्ठ के उपयोग से सघन जंगल, जलवायु और पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी। गौकाष्ठ आधारित वस्तुएं पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए उपयोग में लाई जा रही हैं। इस ओर कईं सामाजिक संस्थाएं, समाजसेवी भी अपना योगदान कर रहे हैं।
गौकाष्ठ के उपयोग से जहां पर्यावरण को नई ऊर्जा मिल रही है वहां इसके उपयोग से पर्यावरण और बेवक्त बदलते मौसम की प्रतिकूल परिस्थिति को बदलने में मदद मिल रही है। गौकाष्ठ के उपयोग से जहां पेड़ों को कटने से बचाने में मदद मिलेगी वहां इसके उपयोग से रोजगार के नवीन अवसरों का सृजन हो सकेगा। साथ ही विभिन्न संस्थाओं को, आजीविका मिशन और गौशालाओं को पर्याप्त व्यवस्था के साथ साथ उनकी आर्थिक स्थिति में भी बदलाव लाया जा सकेगा। महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा जा सकेगा। इससे शासन प्रशासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ विभिन्न संस्थाओं और शासकीय अशासकीय गौशालाओं को भी मिल सकेगा।
गाय के गोबर से निर्मित कंडे रूपी लकड़ियां हैं। गौकाष्ठ के उपयोग से वातावरण में कार्बनडाई आक्साईड की मात्रा भी कम होती है और गौकाष्ठ की केलोरिक वेल्यू लकड़ी से अधिक और घनत्व ज्यादा होता है जो पर्याप्त मात्रा में ईधन के लिए भी अनुपयोगी है। गौकाष्ठ निर्मित वस्तुएं प्रदूषण को रोकने, बढ़ती जरूरतों के लिए उपयोगी साबित हो रही हैं। गौकाष्ठ दैनिक जीवन में भी बहुतायत उपयोगी साबित हो रही है, साथ ही कईं कार्यक्रमों में भी इसकी उपयोगिता प्रमाणित है। गौकाष्ठ के उपयोग से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। साथ ही पूरे प्रदेश में लकड़ियों एवं अन्य वस्तुओं के जलाने से पर्यावरण को बचाया जा सकेगा। पेड़ों की अत्यधिक कटाई को रोकने में मदद मिलेगी एवं इसके दोहरे उपयोग से हम पर्यावरण के संरक्षण में भागीदार बनेंगे और वातावरण को शुद्ध बना सकेंगे।