ग्रीष्म ऋतु एवं महुआ संग्रहण में वनों में अग्नि घटनाऐं घटित हो जाती है, जिससे वनों की काफी नुकसान होता है।
वनों में अग्नि की घटना न हो इसके लिये समस्त ग्रामीणों द्वारा विशेष ध्यान रखा जाये तथा महुआ संग्रहण के दौरान पेड़ों के नीचे किसी प्रकार की आग न लगाई जाये। वन मंडलाधिकारी ने बताया कि अग्नि से वनों के पुनरुत्पादन के साथ-साथ छोटे-छोटे बाल वृक्ष, झाड़ियां एवं वृक्षों को क्षति तो होती ही है, साथ में वन्यप्राणियों के आवास रहवास, वन्यप्राणियों की मृत्यु आदि के रूप में अपूर्णनीय क्षति होती है। पक्षियों के आवास, घोंसले भी क्षतिग्रस्त होते हैं। मृदा कठोर होने सेव जलने से मृदा क्षरण व मृदा अनुपयोगी होती है, जिससे पुनरुत्पादन प्रभावित होता है। पर्यावरण संरक्षण हेतु हमें वनों को आग से सुरक्षित रखना होगा।
उन्होंने बताया कि वनों में आग से पर्यावरण प्रदूषित होता है, वनों के घनत्व में कमी होती है। अत: सभी नागरिकों, ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों से अपील की जाती है कि वनक्षेत्र में आग न लेग इस दिशा में पहल करें। ग्रामीणों को महुआ संग्रहण के दौरान आग न लगाने हेतु प्रेरित करें। निश्चित रुप से आग लगाने से रोकने में आप सहयोगी भूमिका निभायेंगे वनों में आग से रोकें।