तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ ऑफिसर का कहना है कि अगर अंडर ट्रायल कैदियों को ही पेरोल और जमानत दे दी जाए तो जेलों से भीड़ कम हो जाएगी.
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से जेलों में बंद कैदियों को बचाने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं. देशभर की जेलों में बंद कैदियों की सेहत को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी परेशान है. कोर्ट ने राज्य सरकारों को सुझाव दिया है कि 7 साल या उससे कम सजा वाले केस के बंदियों को जमानत, पैरोल दे दी जाए. वहीं, गृहमंत्रालय का आंकड़ा बताता है कि देश में 1412 जेल हैं. जेल में अंडर ट्रायल और सजायाफ्ता कैदियों की संख्या चार लाख से ज़्यादा है. तिहाड़ जेल (Tihar Jail) के पूर्व लॉ ऑफिसर का कहना है कि अगर अंडर ट्रायल कैदियों को ही पेरोल और जमानत दे दी जाए तो जेलों से बड़ी भीड़ कम हो जाएगी.
तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता बताते हैं कि supreem kort का जो सुझाव आया है वो काबिले तारीफ है. इस कदम से आप जेलों के अंदर कोरोना वायरस को फैलने से रोक सकते हैं. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का ही एक पुराना आदेश है कि अंडर ट्रायल कैदियों को जेलों में न रखा जाए. आज हमारे देश की जेलों में जितने कैदी बंद हैं, उनमें 70 फीसद अंडर ट्रायल हैं. अगर सुप्रीम कोर्ट के सुझाव को ही मानकर अंतरिम जमानत और पेरोल दे दी जाए तो 30 फीसद ऐसे बंदी बाहर आ जाएंगे. वहीं, बाकी बचे 30 फीसद सजायाफ्ता भी जेलों से बाहर आ जाएंगे.
सबसे ज़्यादा इन राज्यों की जेल में है भीड़
गृह मंत्रालय का आंकड़ा बताता है कि मध्य प्रदेश, यूपी, उत्तराखण्ड और दिल्ली की जेल सबसे ज़्यादा ओवरक्राउडेड हैं. इन जेलों में तादाद से ज़्यादा कैदी बंद हैं. मध्य प्रदेश की 123 जेल में 37649, 137 फीसदी, यूपी की 70 जेलों में 95336, 164 फीसद, उत्तराखण्ड की 11 जेल में 4200, 124 फीसदी और दिल्ली की 12 जेल में 14000, 179 फीसद कैदी हैं. देशभर की जेलों में कैदियों की एवरेज क्षमता 113.7 फीसद है.