चैत्र नवरात्रि : नवरात्रि के व्रत में कलश स्थापना का एक अलग ही महत्त्व है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस कलश में सभी देवी-देवताओं का वास होता है.
चैत्र नवरात्रि चैत्र नवरात्रि कल से यानी कि 25 मार्च से शुरू हो रहे हैं. पहले दिन को प्रतिपदा कहते हैं. प्रतिपदा के दिन कलश स्थपना के बाद मां शक्ति के सर्वप्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि के व्रत में कलश स्थापना का एक अलग ही महत्त्व है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस कलश में सभी देवी-देवताओं का वास होता है. अगर आप पूरे 9 दिन का व्रत रह रहे हैं तो कलश स्थापना के बिना आपकी पूजा अधूरी मानी जाएगी। नवरात्रि के व्रत की शुरुआत ही दरअसल घट स्थापना के साथ होती है. ऐसे में आइए जानते हैं घट स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है और सबसे अधिक शुभ मुहूर्त कौन सा होता है...
घट स्थापना का शुभ:
नवरात्रि की प्रतिपदा को घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:05 से 7:01 तक है.
घट स्थापना का अमृत चौघड़िया मुहूर्त सुबह 6:05 से 7:36 तक है.
कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:44 से दोपहर 12:33 तक है. इस दौरान आप किसी भी समय कलश स्थापित कर सकते हैं.
अधिक शुभ मुहूर्त कौन सा होता है:
नवरात्रि में कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त अमृत चौघड़िया होता है. इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त भी शुभ माना जाता है. अगर आप किसी कारण से आप अमृत चौघड़िया मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं तो बिलकुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है आप अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना कर सकते हैं.
घट स्थापना के लिए सामग्री:
मिट्टी का कलश, जौ, साफ मिट्टी, पीतल की थाली, कटोरी, जल, ताम्र मिट्टी का पात्र, दूर्वा घास , चन्दन, चौकी, लाल कपड़ा (चुकी पर बिछाने के लिए), रूई, नारियल, चावल, सुपारी, रोली, मौली, जौ, धूप, दीप, फूल, नैवेद्य, अबीर, गुलाल, केसर, सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, शक्कर, शुद्ध घी, पुष्प, गुड़हल का फूल, बिल्ब पत्र, यज्ञोपवीत, दूध, दही, गंगाजल.