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चैत्र नवरात्रि: जानें देवी के नौ स्वरूपों के बारे में...





पौराणिक मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्रि   2020 के पहले दिन ही देवी दुर्गा के आदेश पर जगतपिता ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था.इसलिए इस शुभ तिथि   को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ होता है. इसीलिए नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्‍येक दिन मां दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है.मां दुर्गा समय-समय पर अलग-अलग रूपों के द्वारा इस सृष्टि का संहार करती हैं.नवदुर्गा हिन्दू धर्म में माता दुर्गा अथवा पार्वती के नौ रूपों को एक साथ होने को कहा जाता है










दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ में देवी कवच स्तोत्र में एक श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: बताए गए हैं-


प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।


तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।


पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।


सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।


नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।


उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:। /



नवरात्रि के सभी नौ दिन की तिथि व देवी के 9 रूपों की जानकारी :


1) 25 मार्च : प्रतिपदा प्रथमा तिथि, नवरात्रि आरंभ, घटस्थापना और


मां शैलपुत्री की पूजा, हिंदू नववर्ष की शुरुआत


दुर्गाजी पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं. इन्हे नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा कहा गया है. पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा. नवरात्र के सबसे पहले दिन इनकी ही पूजा और उपासना की जाती है.इनका वाहन वृषभ होने के कारण इन्हे देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है. इ. यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं।


2) 26 मार्च : द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा


नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का मतलब है आचरण करने वाली. इससे मिलकर बने शब्द ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली.


कथाओं के अनुसार,भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण देवी को ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया.


3)27 मार्च : तृतीया तिथि, मां चंद्रघंटा की पूजा


माँ दुर्गा के तीसरे स्वरुप का नाम चंद्रघंटा है. नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है .देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है.इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है,इसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है,


4) 28 मार्च : चतुर्थी तिथि, मां कुष्मांडा की पूजा


नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है.ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से जाना गया है. सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में समाहित है. इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित है. ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज भरा है.


5) 29 मार्च : पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता की पूजा


नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है. इन्हे मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रुप में पूजा जाता है. यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति मानी जाती है. इन्हे चेतना का निर्माण करने वाली कहते हैं . कहा जाता है कि कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं मां स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुई थी.


6) 30 मार्च : षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी की पूजा


माँ दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है.अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति के लिए इनकी उपासना और आराधना होती है.कात्यायनी का अर्थ है कात्यायन आश्रम में जन्म ली हुई.


7) 31 मार्च : सप्तमी तिथि, मां कालरात्रि की पूजा


माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं.दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं.


8 ) 1 अप्रैल : अष्टमी तिथि, मां महागौरी की पूजा


माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना की जाती है. नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है. नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है.पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी. इसी कारण से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया. उनका रूप गौर वर्ण का हो गया. इसीलिए इन्हे महागौरी कहा गया.


9) 2 अप्रैल : नवमी तिथि, मां सिद्धिदात्रि की पूजा


माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं. ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली माता है. नवरात्र के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है. नवरात्र की उपासना में यह अंतिम देवी हैं.






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