श्योपुर जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम कर्राई के निवासी श्री सुकूआ आदिवासी द्वारा बनाये गये हनुमान स्वसहातया समूह के कारण दिये गये बकरी पालन के ऋण से पूरा परिवार प्रफुल्लित हो रहा है। साथ ही आर्थिक दिशा में तरक्की कर समाज में सम्मान से जीने का अवसर भी मिल रहा है। जिले के आदिवासी विकास खण्ड कराहल के ग्राम कर्राई के निवासी श्री सुकुआ आदिवासी मजदूरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे। तभी ग्राम पंचायत के सचिव एवं आजीविका मिशन के मैदानी कर्मचारियों ने उनकों गांव की चैपाल पर अवगत कराया कि बकरी पालन का व्यवसाय आजीविका मिशन के सहयोग से किया जा सकता है। तब उसने आजीविका मिशन के परियोजना अधिकारी श्री एसके मुदगल से संपर्क किया। तथा उनकों मिशन के माध्यम से समूह बनाकर 50 हजार रूपए की राशि बकरीपालन के प्रदान की गई। कराहल आदिवासी विकासखण्ड के ग्राम कर्राई के निवासी श्री सुकूआ आदिवासी ने बकरी पालन की दिशा में बकरी खरीदकर उनका पालन-पोषण किया। साथ ही उनके द्वारा गठित किए गए हनुमान स्वसहायता समूह की महिलाओं ने भी भरपूर सहयोग दिया। साथ ही स्वसहायता समूह को 39 बकरी प्राप्त हुई। उनके हनुमान स्वसहायता समूह को ग्रामसभा में मंजूरी भी दी गई। उनके समूह में जुड़ी हुई महिलाओं द्वारा बकरी पालन की दिशा में श्री सुकूआ आदिवासी ने पूरा सहयोग दिया। उनके द्वारा बकरियों के द्वारा पैदा होने वाले बच्चों को बेचने का व्यवसाय प्रारंभ किया गया। इस व्यवसाय में समूह आर्थिक तरक्की की दिशा में आगे बढ़ने लगा। आदिवासी विकासखण्ड कराहल के श्री सुकूआ आदिवासी की प्रेरणा से ग्राम दुबडी, सिलपुरी और अहिरवानी के लोगो ने भी कर्राई की ग्रामीण महिलाओ ने सीख प्राप्त कर, बकरी के व्यवसाय को प्रारंभ करने का बीड़ा उठाया। श्री सुकूआ के समूह को आजीविका में सुधार लाने के लिए सिरोही नस्ल की 10-10 बकरिया एवं 1-1 बकरा प्रदान किया। इसके उपरांत उनके द्वारा बनाये गये समूह केा ओसतन 10 से 12 बकरे एवं बकरियों का इजाफा प्राप्त हो गया हैं। जिनकी कीमत 20 से 25 हजार रूपये के बीच आंकी गई हैं। जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के निवासी श्री सुकूआ आदिवासी ने बताया कि आजीविका मिशन के माध्यम से ग्रामसभा द्वारा भी मुझे भरपूर सहयोग दिया है। जिससे मेरा बकरी पालन का व्यवसाय तरक्की की राह पकड़ रहा है। जिससे पूरे परिवार में खुशी का वातावरण निर्मित हो रहा है। |
बकरी पालन से प्रफुल्लित हो रहा है सुकूआ आदिवासी का परिवार (खुशियों की दास्तां)
Friday, March 13, 2020
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