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नालसा तस्करी एवं वाणिज्यिक यौन शोषण पीड़ितों के लिये विधिक सेवा योजना विषय पर विधिक साक्षरता शिविर आयोजित

प्रधानमंत्री कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्र, राजगढ़ में आज दिनॉक 24.02.2020 को आयोजित नालसा तस्करी एवं वाणिज्यिक यौन शोषण पीड़ितों के लिये विधिक सेवा योजना विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन श्रीमती अंजली पारे, तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश, राजगढ़ के मुख्य अतिथ्य एवं श्रीमान् फारूक अहमद सिद्दीकी, जिला विधिक सहायता अधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजगढ़ के विशेष अतिथ्य में संपन्न हुआ। उक्त विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के निर्देशानुसार, श्रीमान् प्रभात कुमार मिश्रा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजगढ़ के निर्देशन एवं श्रीमान् डी.पी. सिंह सिवाच, सचिव/अपर जिला न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजगढ़ के नेतृत्व में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजगढ़ के द्वारा आयोजित किया गया।
    इस अवसर पर मुख्य अतिथि, श्रीमती अंजली पारे तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश, राजगढ़ ने अपने उद्बोधन में स्किल डेव्हलपमेंट पर चर्चा करते हुये कहा, कि केवल शिक्षा उपरांत डिग्री प्राप्त कर लेने से ही आय प्राप्त नहीं होती है। शिक्षा के साथ-साथ व्यक्ति को अपने कौशल को भी बढ़ाना चाहिये, ताकि अपने हुनर से वह आय अर्जित कर सकें। समाज में पुरूष वर्ग द्वारा महिलाओं का शोषण किया जाता है। इस कारण विधायिका ने महिलाओं के कमजोर वर्ग को सुरक्षा प्रदान करने के लिये कई कानून बनाये है, जिनमें से प्रमुख है - लैंगिक शोषण से बालकों का संरक्षण अधिनियम, घरेलू हिंसा अधिनियम, भरण-पोषण, हिंदु विवाह अधिनियम आदि। लैंगिक शोषण से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुये कहा, कि इस अधिनियम में कठोर प्रावधान किये गये है। लैंगिक शोषण के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के बालक/बालिका को घूरना, पीछा करना, छेड़छाड करना, एकांतता भंग करना, लैंगिक हमला करना शामिल किया गया है। इस कानून से महिलाओं को जागरूक करने के साथ ही पुरूष वर्ग को सुरक्षात्मक एवं पूर्व सतर्कता रवैया अपनाने के लिये कहा गया साथ ही नालसा, नई दिल्ली के द्वारा महिलाओं के संरक्षण के लिये वाणिज्यिक यौन शोषण पीड़ितों को  विधिक सेवा योजना के बारे में भी बताते हुये कहा, कि  वाणिज्यिक यौन शौषण के पीड़ित चाहे वो अवैध व्यापार द्वारा लाए गये हों अथवा स्वैच्छिक यौनकर्मी हो, एक अत्यधिक पिछड़ा समूह है, उनके या तो अधिकार भुला दिये गये हैं या उनके जीवन एवं रहने की दशा से किसी का कोई संबंध नहीं है या इसमें किसी को कोई रूचि नहीं है, कि उनके एवं उनके बच्चों के साथ क्या घटित होता हैं। वाणिज्यिक यौन शौषण हेतु अवैध व्यापार के पीड़ित ऐसे अवैध व्यापार के ठीक पश्चात् सिर्फ अत्यधिक मानसिक आघात का सामना करते है। इस योजना का उद्देश्य आयु समूह की महिलाओं को सम्मिलित करते हुए अवैध व्यापार के पीड़ितों एवं प्रत्येक स्तर पर अर्थात रोकथाम, बचाव एवं पुनर्वास के संबंधों का समाधान करने हेतु विधिक सहायता प्रदान करना है।
    इस अवसर विशेष अतिथि, श्रीमान् फारूक अहमद सिद्दीकी, जिला विधिक सहायता अधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजगढ़ अपने उद्बोधन में कहा, कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से आयोजित विधिक साक्षरता शिविर के दौरान आमजन को दैनिक उपयोग में आने वाले कानूनों के साथ ही उनके अधिकारों से अवगत कराया जाता है। विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही है, जिनमें से नि:शुल्क विधिक सहायता एवं सलाह, पारिवारिक विवाद समाधान केन्द्र, म.प्र. अपराध पीड़ित प्रतिकर योजना, पैरालीगल वॉलेंटियर्स, लोक अदालत आदि प्रमुख है।    
    इस अवसर पर सुश्री प्रतिभा शर्मा, संचालिका, प्रधानमंत्री कौशल विकास केन्द्र, राजगढ़ ने संस्था के बारे में बताया और अतिथिगण का स्वागत कर, कार्यक्रम के अंत में आभार प्रकट किया। संस्था के समस्त प्रशिक्षक, स्टाफ, छात्र-छात्रायें एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।


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