इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शादीशुदा महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने ये कहते हुए सुरक्षा मांगी थी कि वो दूसरे शादीशुदा पुरूष के साथ लिव इन में रह रही है, लेकिन उसे धमकियां मिल रही है--
इलाहाबाद. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादीशुदा होकर लिव इन रिलेशन (Live in relationship) में रह रही 3 बच्चों की मां को सुरक्षा व संरक्षण देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि बिना तलाक दिये पति या पत्नी से अलग होकर लिव इन रिलेशन में रहने वालों को कोर्ट संरक्षण नहीं दे सकती. कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश जस्टिस भारती सप्रू और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने अखिलेश व जितेन्द्र की याचिका पर दिया है.
लिव इन में रहने के लिए मांगी थी सुरक्षा
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता श्रीमती अखिलेश की शादी रामपुर के धुलिका धरमपुर के जगतपाल के साथ हुई. इन दोनों के तीन बच्चे हैं. पति के शराब पीकर मारपीट करने व कमा कर लाने को कहने से परेशान होकर याचिकाकर्ता अखिलेश मुरादाबाद के पहले से शादीशुदा जितेन्द्र के साथ रहने लगी. श्रीमती अखिलेश ने कोर्ट को बताया कि वह जितेन्द्र के साथ लिव इन रिलेशन में हैं लेकिन अब उसे धमकाया जा रहा है.
पति या पत्नी को छोड़कर विल इन में रहना अवैध'
जितेन्द्र से पूछने पर उसने कोर्ट से कहा कि उसकी मर्जी के खिलाफ परिवार वालों ने उसकी शादी की है और वो अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता अखिलेश के साथ रह रहा है. इन दोनों का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि बिना तलाक दिये पति या पत्नी को छोड़कर दूसरे के साथ लिव इन रिलेशन में रहना अवैध है. ऐसे में कोर्ट किसी को भी संरक्षण नहीं दे सकता.